*धारलोकसभा से कांग्रेस के एक मात्र खेवन हार राधेश्याम मुवेल के सामने कोंन होगा भाजपा प्रत्यासी*
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सोहन काग अजन्दा ✍🏻 से
खबर हलचल न्यूज़ KNI चेनल धार
*नही तो क्या अल्प मत की कमलनाथ जी की सरकार चुने हुये विधायको में से धार के लिये लोकसभा प्रत्यासी के लिये लेगी रिस्क?*
*यदी नही तो फिर कोंन होगा धार महू लोकसभा प्रत्यासी के रूप में नया चेहरा।*
*अभी अभी सम्पन्न हुये मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव मे जिस तरह से जनता ने कांग्रेस को प्रचंड बहुमत देके विजयी रथ पे सवार किया है उस रथ पे सवार हो के धार लोकसभा से कृष्ण और अर्जुन सहित जिले के सभी महारथी चुनाव जित के विधान सभा मे पहुंच चुके है। जिससे जिले में दूर दूर तक किसी भी दूरबीन से लोकसभा प्रत्यासी के रूप चेहरा नजर नही आता।*
*क्युकी जिले भर में सर्व स्वीकार्यता के लिये अभी तक सिर्फ दो ही नाम जनमानस की जुबान पे चर्चा में सम्मिलित रहे थे जो भाजपा की पंद्रह साल की सत्ता होने के बाद भी जनता की पहली पसंद बने हुये थे।*
*उसमे से पहला नाम था तिन बार के गंधवानी विधायक श्री उमंग सिंघार जी का तो दूसरा सम्पूर्ण प्रदेश में कांग्रेस से सर्वाधिक मतो से विजयी होने वाले कुक्षी विधायक श्री सुरेंद्र सिंह हनी बघेल जी का।*
*लेकिन अल्पमत की कमल नाथ जी की सरकार में इन दोनों ही चेहरों को जो महत्वपूर्ण विभाग दे के जिम्मेदारियां सोपी गयीं है उससे धार में कांग्रेस में लोकसभा के लिये प्रत्यासी खोजना जैसे आसमान से तारे तोड़ के लाने के समान ही माना जा रहा है।*
*ऐसे में युवा तरूणाई की पहली पसंद ही राधेश्याम मुवेल माने जा रहे है क्युकी दो बार के सांसद रह चुके अवसरवादी गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी जी अपना जनाधार गंवा चुके है इसलिये गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी जी पे अब मोदी लहर में कांग्रेस का शीर्ष नेतृतव किसी भी परिस्थतियों में दाव खेलने को राजी नही क्युकी राजूखेड़ी ने हमेसा से ही ना सिर्फ अपनी व्यक्तिगत लालसा के चलते एकला चलो की नीति का बिज बोया है बल्कि हमेसा से ही विरोधी पार्टी से साठ गांठ कर के अपनी ज़िद्द को परवान चढ़ाये रखा इसी के चलते कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओ के मन मस्तिष्क से राजूखेड़ी सदा सदा के लिये उत्तर चुके है।इसलिये राजूखेड़ी को अवसर देने का अर्थ ही भाजपा की विजयी मानी जा सकती है।ऐसे में जो नया चेहरा तलाशा जा रहा है उसमें सक्रिय भूमिका में सम्पुर्ण जिले भर में युवा कांग्रेस के माध्यम से युवाओ की पहली पसंद माने जाने वाले युवा कांग्रेस के धार महु लोकसभा के सक्रिय अध्यक्ष श्री राधेश्याम मुवेल का नाम भी जोरो से गूंजने लगा है।*
*क्योंकी अपने पंद्रह वर्षो की अधक मेहनत व प्रयासों से श्री मुवेल ने युवा कांग्रेस के माध्यम से 15 वर्षो में जो भाजपा से लोहा लिया धरने प्रदर्शन व आंदोलन कर के उनकी हर गलतियों को जिले में उजागर कर विरोध प्रदर्शन कर मरण सैय्या पे पड़ी कांग्रेस में जो जान फुकी है वह क्षेत्र के युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओ की स्मृती पटल में चित्रांकित हो के अविस्मरणीय हो चुकी है।*
*सायद इसी उभरते कांटे को अपने रास्ते से हटाने के लिये राजूखेड़ी जी ने विधान सभा मे जय आदिवासी युवा संघटन के ड्राक्टर हीरा अलावा का समर्थन किया क्युकी उन्हें इस बात का अंदाजा था की डॉ अलावा पैराशूट प्रत्यासी है और निश्चित ही हार जाएगा लेकिन भाजपा की तिन बार की विधायक रंजना जी बघेल का स्थानीय विरोध चरम पे पहुंचने लगा और जब डॉ अलावा भी जित के करीब जाने लगे तो अपनी परम्परागत विरोधी मिलन राजनीति को चरितार्थ करते हुये राजूखेड़ी जी ने भाजपा केंडिडेट के पती की गाड़ी में सवार होने लगे लेकिन अन्तोगत्वा ड़ा.अलावा विजयी हुये क्युकी यहां भाजपा से अधिक रंजना जी बघेल का विरोध था इस लिये रंजना जी के सामने किसी की भी जित पक्की थी यदी यही टिकिट पूर्व सांसद छतर सिंह दरबार जी को दिया होता तो सायद वे भी प्रचंड बहुमत से विजयी होते क्यु की एक तरफ तिन बार की विधायक का विरोध था तो दूसरी ओर पैराशूट प्रत्यासी का लेकिन श्री अलावा को चुन के दीदी को घर भेजने का इससे अच्छा अवसर जनता को सायद फिर कभी ना मिलता। इसी के परिणाम स्वरूप आज जयस के नाम पे जो जित मानी जा रही है वह जयस की नही बल्कि पूर्व केबिनेट मंत्री रंजना बघेल की हार है।अन्यथा जयस के सक्रिय तो गंधवानी व सरदारपुर विधान सभा में भी लड़े थे। इसलिये यह जित रंजना जी का विरोध ही मानी जा रही।*
*सायद इसीलिये श्री राधेश्याम मुवेल को मनावर विधान सभा से टिकिट न मिलने से हतोत्साहित युवाओ ने कहा की मनावर विधान सभा से टिकिट की पक्की दावेदारी करने वाले राधेश्याम मुवेल को शायद इसी लिये मनावर विधान सभा के टिकिट से वंचित किया गया हो की उनका स्थान भोपाल में नही बल्की दिल्ली में नियत है।**
*अन्यथा संघटन के विभिन्न पदों पे निर्वाचित होके जिस तरह से श्री मुवेल ने विधान सभा के अध्यक्ष से लेके बिहार प्रभारी तक का जो दायित्व निभाया वह उनकी कौशलता की परीक्षा ही थी जिसे जिले में लोकसभा प्रत्यासी के रूप में लाभान्वित किया जाना हो वर्तमान में भी श्री मुवेल कांग्रेस द्वारा गठित संघटन राष्ट्रीय समन्वयक अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस के चार राज्यो के प्रभारी है छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र गुजरात एवं हिमाचल अब देखना होगा चार राज्यो में पुनर्जनमित कांग्रेस कार्यकर्ताओ के श्रम को महत्व देती है या परम्परागत आकाओ की नीति को यह गर्भ में है*