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देवास । जिले में 15 जनवरी से प्रारंभ हो रहे मीजल्स रूबैला टीकाकरण अभियान के संबंध में कलेक्टर डॉ श्रीकांत पांडे के निर्देश पर मीडिया कार्यशाला आयोजित की गई। मीडिया कार्यशाला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में आयोजित की गई। कार्यशाला में मीडिया कर्मियों को मीजल्स रूबैला अभियान के उद्देश्यों तथा क्रियान्वयन के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए अभियान से जुड़ने की अपील की गई।
कार्यशाला में डॉक्टर एस के सरल ने अभियान के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस राष्ट्रव्यापी अभियान के अंतर्गत खसरा तथा रूबैला से सुरक्षा प्रदान करने के लिए खसरा-रूबैला एमआर का टीका जिले के सभी शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों, आंगनबाड़ियों तथा सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में 09 माह से 15 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों में लगाया जाएगा, भले ही बच्चों को पहले भी एमआर/एमएमआर का टीका लगाया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि खसरा रोग के निर्मूलन तथा रूबैला को नियंत्रित करने के लिए 09 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को यह टीका दिया जाना आवश्यक है। खसरा एक जानलेवा रोग है तथा यह वायरस द्वारा फैलता है। बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता तथा असमय मृत्यु हो सकती है। खसरा एक बेहद संक्रामक रोग है तथा यह इससे प्रभावित व्यक्ति के खॉसने या छीकनें से फैलता है। चेहरे तथा शरीर पर गुलाबी लाल दाने या चकत्ते होना, अत्याधिक बुखार, खांसी, नाक बहना और ऑखे लाल हो जाना खसरे के लक्षण है। मीडिया कार्यशाला में बताया कि इसी प्रकार रूबैला एक संक्रामक रोग है तथा यह वायरस के कारण फैलता है। इसके लक्षण खसरा रोग जैसे ही होते हैं और यह लड़के या लड़की दोनों को ही संक्रमित कर सकता है। बच्चों में यह रोग आमतौर पर हल्का होता है जिसमें खारिश, कम डिग्री का बुखार, मिचली और हल्के नेत्र-शोध के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कान के पीछे और गर्दन में सूजी हुई ग्रंथियां सबसे विशिष्ट चिकित्सकीय लक्षण होते हैं। यदि कोई महिला गर्भावस्था के शुरूआती चरण में इससे संक्रमित हो जाए तो कंजेनिटल रूबैला सिंड्रोम (सीआरएस) हो सकता है जो कि महिला के भू्रण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
मीडिया कार्यशाला में बताया कि मीजल्स रूबैला खतरनाक और जानलेवा बीमारी है। वहीं रूबैला से बच्चों में जन्मजात बीमारियों जैसे- दिल में छेद, मानसिक विकलांगता आदि का खतरा बढ जाता है। इन बीमारियों से बचने के लिये सरकार ने अब मीजल्स का टीका लगाना बंद कर उसके स्थान पर बच्चों को मीजल्स रूवेला का टीका लगाया जायेगा। यह अभियान 15 जनवरी 2019 से शुरू किया जायेगा। इस बैक्सीन से बच्चों में मीजल्स और रूवेला जैसी बीमारियों से बचाव होगा। वही लडकियाँ को यह टीका लगाने से माँ बनने का खतरे से बचाया जा सकता है। जब वह मां बनेगी तब उसके गर्भ में जन्म लेने वाले बच्चे में जन्मजात की बीमारी नहीं आयेगी। अधिकांश महिलाओं को बार-बार गर्भपात का शिकार या गर्भधारण हो जाता है, तो मृत्यु शिशु को जन्म तथा उनका गर्भस्थ शिशु विकसित अथवा जन्मजात शारीरिक दोष के साथ जन्म लेता है। जैसे-दिल में छेद, मानसिक विकलांगता शरीर का कोई भाग न होना शारीरिक या मानसिक रूप से बधित होना। शिशु के साथ माता पिता का जीवन भी नक्रीय हो जाता है। जो बच्चा बढा हो कर माता पिता का सहारा होगा वहीं बच्चा माता पिता पर आसरित हो जाता है। जिसके कई कारण हो सकते है, जिसमें से एक बडा कारण है रूवेला वायरस का संक्रमण। बच्चों को एक ओर घातक बीमारी अपना शिकार बनाती है जिसे मीजल्स या खसरा कहते है। मीजल्स खुद इतना खतरनाक नहीं होता। जितना उसके दुष्य परिणाम अंधापन, मस्तिक में सूजन, निमोनिया, डायरिया, मीजल्स पीडित बच्चा कुपोषण का शिकार भी हो जाता है। अधिकांश बच्चों की मृत्यु हो जाती है। मीजल्स से होने वाली मौतें 30 प्रतिशत बाल मृत्यु भारत में होती है। क्या दोनो घातक बीमारियों को रोका जा सकता है, जी हां बिल्कुल रोका जा सकता है। एमआर बैक्सीन के टीके द्वारा इन बीमारियों को रोका जा सकता है। इसलिए भारत के 23 राज्यों में सफलता पूर्वक 15 करोड से अधिक बच्चों को सुरक्षित करने के बाद सरकार 9 माह से 15 वर्ष के सभी बच्चों को नि:शुल्क टीका लगवा कर जीवन सुरक्षित करने जा रही है। इस अभियान के अन्तर्गत शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों, आंगनवाडी केन्द्रों मदरसो तथा अशासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में टीका लगाया जायेगा। आमजनता से अपील की जाती है कि अपने 9 माह से 15 वर्ष तक सभी बच्चों को एमआर बैक्सीन का टीका अवश्य लगवाये। जिससे बच्चों में होने वाली बीमारियों को रोका जा सके।
कार्यशाला में डॉक्टर एस के सरल ने अभियान के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस राष्ट्रव्यापी अभियान के अंतर्गत खसरा तथा रूबैला से सुरक्षा प्रदान करने के लिए खसरा-रूबैला एमआर का टीका जिले के सभी शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों, आंगनबाड़ियों तथा सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में 09 माह से 15 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों में लगाया जाएगा, भले ही बच्चों को पहले भी एमआर/एमएमआर का टीका लगाया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि खसरा रोग के निर्मूलन तथा रूबैला को नियंत्रित करने के लिए 09 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को यह टीका दिया जाना आवश्यक है। खसरा एक जानलेवा रोग है तथा यह वायरस द्वारा फैलता है। बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता तथा असमय मृत्यु हो सकती है। खसरा एक बेहद संक्रामक रोग है तथा यह इससे प्रभावित व्यक्ति के खॉसने या छीकनें से फैलता है। चेहरे तथा शरीर पर गुलाबी लाल दाने या चकत्ते होना, अत्याधिक बुखार, खांसी, नाक बहना और ऑखे लाल हो जाना खसरे के लक्षण है। मीडिया कार्यशाला में बताया कि इसी प्रकार रूबैला एक संक्रामक रोग है तथा यह वायरस के कारण फैलता है। इसके लक्षण खसरा रोग जैसे ही होते हैं और यह लड़के या लड़की दोनों को ही संक्रमित कर सकता है। बच्चों में यह रोग आमतौर पर हल्का होता है जिसमें खारिश, कम डिग्री का बुखार, मिचली और हल्के नेत्र-शोध के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कान के पीछे और गर्दन में सूजी हुई ग्रंथियां सबसे विशिष्ट चिकित्सकीय लक्षण होते हैं। यदि कोई महिला गर्भावस्था के शुरूआती चरण में इससे संक्रमित हो जाए तो कंजेनिटल रूबैला सिंड्रोम (सीआरएस) हो सकता है जो कि महिला के भू्रण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
मीडिया कार्यशाला में बताया कि मीजल्स रूबैला खतरनाक और जानलेवा बीमारी है। वहीं रूबैला से बच्चों में जन्मजात बीमारियों जैसे- दिल में छेद, मानसिक विकलांगता आदि का खतरा बढ जाता है। इन बीमारियों से बचने के लिये सरकार ने अब मीजल्स का टीका लगाना बंद कर उसके स्थान पर बच्चों को मीजल्स रूवेला का टीका लगाया जायेगा। यह अभियान 15 जनवरी 2019 से शुरू किया जायेगा। इस बैक्सीन से बच्चों में मीजल्स और रूवेला जैसी बीमारियों से बचाव होगा। वही लडकियाँ को यह टीका लगाने से माँ बनने का खतरे से बचाया जा सकता है। जब वह मां बनेगी तब उसके गर्भ में जन्म लेने वाले बच्चे में जन्मजात की बीमारी नहीं आयेगी। अधिकांश महिलाओं को बार-बार गर्भपात का शिकार या गर्भधारण हो जाता है, तो मृत्यु शिशु को जन्म तथा उनका गर्भस्थ शिशु विकसित अथवा जन्मजात शारीरिक दोष के साथ जन्म लेता है। जैसे-दिल में छेद, मानसिक विकलांगता शरीर का कोई भाग न होना शारीरिक या मानसिक रूप से बधित होना। शिशु के साथ माता पिता का जीवन भी नक्रीय हो जाता है। जो बच्चा बढा हो कर माता पिता का सहारा होगा वहीं बच्चा माता पिता पर आसरित हो जाता है। जिसके कई कारण हो सकते है, जिसमें से एक बडा कारण है रूवेला वायरस का संक्रमण। बच्चों को एक ओर घातक बीमारी अपना शिकार बनाती है जिसे मीजल्स या खसरा कहते है। मीजल्स खुद इतना खतरनाक नहीं होता। जितना उसके दुष्य परिणाम अंधापन, मस्तिक में सूजन, निमोनिया, डायरिया, मीजल्स पीडित बच्चा कुपोषण का शिकार भी हो जाता है। अधिकांश बच्चों की मृत्यु हो जाती है। मीजल्स से होने वाली मौतें 30 प्रतिशत बाल मृत्यु भारत में होती है। क्या दोनो घातक बीमारियों को रोका जा सकता है, जी हां बिल्कुल रोका जा सकता है। एमआर बैक्सीन के टीके द्वारा इन बीमारियों को रोका जा सकता है। इसलिए भारत के 23 राज्यों में सफलता पूर्वक 15 करोड से अधिक बच्चों को सुरक्षित करने के बाद सरकार 9 माह से 15 वर्ष के सभी बच्चों को नि:शुल्क टीका लगवा कर जीवन सुरक्षित करने जा रही है। इस अभियान के अन्तर्गत शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों, आंगनवाडी केन्द्रों मदरसो तथा अशासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में टीका लगाया जायेगा। आमजनता से अपील की जाती है कि अपने 9 माह से 15 वर्ष तक सभी बच्चों को एमआर बैक्सीन का टीका अवश्य लगवाये। जिससे बच्चों में होने वाली बीमारियों को रोका जा सके।