गुरु, मंत्र और माला बार बार बदलना नही चाहिए…पण्डित कमलनयनजी

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देवास-विजय नगर में चल रही भागवत कथा के आज दूसरे दिन पण्डित कमलनयनजी ने बताया की गुरु मंत्र और माला बार बार बदलना नही चाहिए। नही तो मंजिल तक जाने में बड़ी कठिनाई हो जाएगी। मन को भगवान की भक्ति में लगा दीजिये सबकुछ आसान हो जाएगा। रामचरितमानस में मन्त्रजाप को पंचम भक्ति बताई गई है। भगवान हमेशा सच्चे भाव वाले को ही मिलते है। जो मन से निश्चल ओर निष्काम होते है भगवान उसके बस में होते है।और कलयुग में तो केवल नाम की लड़ाई चल रही है। सतयुग में नारदजी ने अच्छाई के लिए लड़ाइयां करवाई है। और कलयुग में नारद लोग अपने मतलब के लिए लड़ाई करवा रहे है। एक प्रसंग के दौरान कमलनयनजी ने बताया कि भगवान शिव के समान कोई दाता या दानी नही है। भोलेनाथ के समान कोई दयालु भी नही है।

भागवत कथा कलयुग के सम्पूर्ण पापो का नाश करने वाली है इसके श्रवण मात्र से जीव संसार रूपी सागर से तर जाता है। रामचरित मानस हमे नीना सिखाती है। और श्रीमद्भागवत जीव को मरना सिखाती है ।

जिस दिन शरीर रूपी पेन से आत्मा रूपी स्याही खत्म हो जाएगी के दिन ये पेन रूपी शरीर किसी काम का नही रहेगा। इस नश्वर शरीर पर कभी घमंड नही करना चाहिए।

कथा के दूसरे दिन भक्तो की काफी भारी भीड़ रही।

 

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