नए निजाम का पुराने अंदाज में स्वागत

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_*नए निजाम का पुराने अंदाज में स्वागत*_
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*डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’*

समय की सरराहट के मायने बदले, आगाज बदला, अंजाम बदला, निजाम बदला, सत्ता बदल गई, नई सरकार बन गई और नए मुख्यमंत्री आ गए…!
इसी बदलाव के दरमियाँ सैकड़ों सवाल यथावत मुहँ फैलाए खड़े हैं जिसमें जनता अब भी अपने जवाब खोज रही है।
हिन्दी कविता के महनीय हस्ताक्षर बाबा नागार्जुन ने अपनी कविता में लिखा है…
*कालिदास! सच-सच बतलाना !*
*इंदुमती के मृत्यु शोक से*
*अज रोया या तुम रोये थे ?*
*कालिदास! सच-सच बतलाना ?*

बाबा नागार्जुन की इस कविता में कालिदास की भूमिका में यदि जनता को रखते है जिससे विश्लेषक पूछ रहें है कि सत्ता परिवर्तन से सच में कौन रोया ?
जहाँ सत्ता से बाहर हुई भाजपा रति की भूमिका में है, जिसका कामदेव यानी सिंहासन भस्म हो गया हो तो ऐसी दशा में करूण रुदन किसका है जनता का या भाजपा का।
खैर यह तो काव्य रचना थी, परन्तु सत्य तो यथार्थ के आलोक में यथावत है…
जनमत आज जब पहले फैसले को पढ़ रहा था तो स्वंय को ठगा हुआ महसूस कर रहा था। किसानों के कर्जमाफी का फैसला नए निजाम द्वारा लिया गया, पर उसमें लगी शर्तें को देखें तो पाएंगे कि इस फैसले से साफतौर पर महज 8 प्रतिशत किसान ही लाभान्वित हो पाएंगे जबकि बचे हुए 92% तो ठगे ही रह गए ।
फैसले केवल इसलिए लेना जरूरी है क्योंकि वचन दिया है या फिर इसलिए कि उससे बड़ा तबका लाभांवित हो सके ?
जल्दबाजी में किए वादे, जल्दबाजी में लिए फैसले दोनों ही हानिकारक है ।
जनता के सामने लोकसभा चुनाव है, और कांग्रेस को ऐसी स्थिति में फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा।
प्रदेश के मुखिया की ताजपोशी के आयोजन में मीडिया और जनता को कांग्रेसजनों के बालहठ और सत्ता आने की खुशी का सामना करना पड़ा, जिसमें बॉटल फेंक कर आगे खड़े लोगों को बैठाना, पुलिस को गालियाँ देकर बेरीकेड तोड़ना, कुर्सीयाँ तोड़कर फेंकना भी नज़र आ रहा था।
खैर ये तो आमतौर पर हर बड़ी सभा में होता ही है, फिर ये तो नए निजाम की शपथविधि ही थी और 15 वर्षों के बाद जो कांग्रेसी भी अपने मुख्यमंत्री की शपथ देखने आए थे।
अभी आरंभ है, सत्ता सुंदरी के मोह के कारण रति को अपना कामदेव भस्म देखना पड़ा था तो सनद रहे, अभिमान और जल्दबाजी दोनों से बचकर सत्ता का संचालन करना कमलनाथ के लिए आवश्यक भी है और चुनौती भी।
सनद रहे ये सत्ता का स्वाद है, ज्यादा चखने पर खारा हो जाता है।

*डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’*
खबर हलचल न्यूज, इंदौर

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