दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी को 10 वर्ष का कारवास और 15 हजार रूपए के अर्थदंड से किया दंडित  ।

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देवास। विशेष न्यायालय ने एससी-एसटी एक्ट में दुष्कर्म के मामले में गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर एक आरोपी को 10 वर्ष के कारावास और 15 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया है। वहीं एक आरोपी को सबतों और गवाहों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है।

यह था पूरा मामला

अशोक चावला विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि 16 जून 2018 को 6.30 बजे  पीडि़ता द्वारा थाना प्रभारी को नया महिला वार्ड सीएचसी बागली में सूचना दी गई कि वह हाटपिपलिया इंदिरा कॉलोनी की रहने वाली है करीब 8 साल पहले उसकी शादी पप्पू चमार निवासी सिरोलिया बरोठा के साथ हुई थी।पति से अनबन होने के कारण वह ससुराल से मायके हाटपिपलिया आकर रहने लगी थी। भाइयों से विवाद होने पर वह हाटपिपलिया से कुछ महीने रहने के बाद कबीर कॉलोनी देवास में अपने लड़के को लेकर बाबूलाल के मकान में किराए से रहने लगी तथा झाड़ू पोछा कर मजदूरी करती थी। इसी दौरान उसे पता चला कि उसके पिता भाई ने मकान बेच दिया है तब वह अपना हिस्सा मांगने हाटपिपलिया गई थी। हाटपिपलिया बस स्टैंड पर उसे मंगा पिता बाबू माली मिला और उससे बोला कि उसने वकील से बात कर ली है। दोनों बागली में वकील से बात करते हैं। मंगा उसे हाटपिपलिया में मिला तो उसके साथ एक दोस्त भी था। मंगा और उसका दोस्त प्रभुलाल उसे वकील से बागली में बात कराने के बहाने बाइक से बागली लाए और पुंजापुरा रोड पर छाई गांव निकाल कर जंगल में ले गए । दोनों ने उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया और जब विवाहिता चिल्लाई तो भाग गए। जिस पर पुलिस ने दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में मामलों में प्रकरण दर्ज किया था। तभी से मामला न्यायालय में विचाराधीन था। विशेष न्यायाधीश ने धारा 376 घ व 3(2)(5)एससी एसटी एक्ट के मामले में मांगीलाल उर्फ मांगू उर्फ मंगा पिता बाबूलाल माली उम्र 36 वर्ष निवासी दरजी कॉलोनी थाने के सामने हाटपिपलिया को दोषी पाते हुए धारा 376  में 10 वर्ष का कठोर कारावास तथा 15 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया था। एक अन्य आरोपी प्रभुलाल पिता किशन जी आयु 40 वर्ष निवासी कबीर पुरा हाटपिपलिया को धारा 376 के का आरोप प्रमाणित नहीं पाए जाने से 376 के आरोप से दोषमुक्त किया। न्यायालय ने पीडि़तों को 10 हजार रूपए की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान किए जाने के भी आदेश किया है।

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