उमरबन सदर आशिक़ पठान की ज़मानत हाय कोर्ट ने चौथी बार निरस्त की*

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*उमरबन सदर आशिक़ पठान की ज़मानत हाय कोर्ट ने चौथी बार निरस्त की*

*13 साल पुराना मेडिकल रेकोर्ड (E.C.G.) दिखाकर बोले माँ का तत्काल ऑपरेशन करवाना है*

(सोहन काग)

धार- नाबालिक बालिका के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मुख्य आरोपी उमरबन मस्जिद के सदर आशिक़ पठान की चौथी ज़मानत हाय कोर्ट द्वारा निरस्त।
गोरतलब है कि 11 अगस्त 2017 को उमरबन मस्जिद का सदर आशिक़ पठान और उसके ड्राइवर राजू ने 15 वर्षीय बालिका को बहला फूसला कर उमरबन से इंदौर ले गए और इंदौर से आते में दोनो ने कार में बालिका के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। आरोपियों पर दुष्कर्म की धाराओं के साथ ही लेंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला पंजिबद्ध किया गया।
वर्तमान में स्पेशल जज धार के न्यायालय में मामला विचाराधिन है और अभियोजन पक्ष के सभी साक्षीयो के कथन भी हो चुके हे सिर्फ़ अनुसंधान अघिकारी के बाक़ी है,यदि अपराध सिद्ध होता हे तो आरोपियों को बीस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा होगी।
मुख्य आरोपी आशिक़ पठान की और से चौथा अस्थाई ज़मानत आवेदन हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया गया जिसमें आरोपी के अधिवक्ता ने तर्क दिए के आरोपी सदर पठान की माँ गम्भीर रूप से बीमार है और डॉक्टर ने शीघ्र ही दिल के ऑपरेशन करने की सलाह दी है और सदर के परिवार में दूसरा कोई सदस्य है उसकी माँ की देख रेख कर सके।
वही पीड़ित बालिका की और से पैरवी कर रहे अधिवक्ता राहुल सोलंकी ने ज़मानत का विरोध करते हुए कोर्ट में बताया की आरोपी की माँ को किसी भी प्रकार की ऐसी कोई बीमारी नहीं है जिसमें तत्काल दिल का ऑपरेशन करने की ज़रूरत हो। और इ.सी.जी. 2005 की पेश की है जो की संदेहास्पद है।
फिर भी ऑपरेशन करवाना ही हे तो सदर के परिवार में पाँच सदस्य और भी है जो उसकी माँ की देख रेख कर सकते है।

सोलंकी के उक्त तर्को के आधार पर जस्टिस विरेंद्र सिंह ने शुक्रवार को आरोपी सदर की चीथी ज़मानत निरस्त की।
सदर की पहली ज़मानत नवम्बर 2017 और दूसरी मई 2018 में और तीसरी जुलाई 2018 निरस्त हो चुकी हे। दोनो आरोपी अगस्त 2017 से ही न्यायिक हिरासत में है।

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