राजशाही परम्परा से शहर में निकली परम्परागत डिंडीयात्रा
….श्री कृष्ण पालकी निकालने की राजवंशीय लगभग 100 वर्षो से भी अधिक समय की है,
देवास | शहर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दुसरे दिन वर्षो पुरानी प्राचीन राजकीय परमपरागत भव्य श्रीकृष्ण पालकी और डिंडीयात्रा देवास स्थित राजबाड़े से निकाली गई। यात्रा देवास राजवंश द्वारा करीब 100 वर्षो से भी अधिक समय से निकाली जा रही है। यात्रा में कई भजन मंडलियां पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करते भजन गाते हुए आगे आगे चल रही थी। साथ ही श्रीकृष्ण को सुसज्जित पालकी में विराजित किया गया । भव्य दिंडी पालकी यात्रा साय 7 बजे राजबाड़ा से प्रारंभ होकर देर रात मीठा तालाब पहुची । यात्रा के दौरान पूरा शहर कृष्णमय नजर आया, डिंडीयात्रा का जगह जगह पर भक्तो द्वारा और शहर के नागरिको द्वारा भव्य स्वागत किया गया और कृष्ण पालकी पर पुष्पमालाए अर्पित की गई। यात्रा में भजन मंडलिया , बेंड , डंडा पार्टिया और परम्परागत वेशभूषा में भक्त कृष्ण भजनों पर झूम रहे थे । वहीँ राधाकृष्ण का स्वरूप भी जन्माष्टमी पर निकली यात्रा में नजर आया । यात्रा के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम दिखाई दिए और कई जनप्रतिनिधि इस दौरान यात्रा में शामिल हुए। कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व देवास राजबाड़े के लिए कुछ अलग महत्व रखता है जहा आठ दिनों तक श्रीकृष्ण पूजन और कीर्तन चलते है और दिंडी यात्रा नीकाली जाती है। देवास विधायक पुत्र एवम् देवास रियासत के महाराज विक्रम सिंह सिंह पवार डिंडीयात्रा में आगे आगे भजन गाते चल रहे थे।