कविता लोकरंजन का नहीं, लोकमंगल का विषय- श्रद्धा शौर्य

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मातृभाषा ने कवयित्री श्रद्धा शौर्य का किया अभिनंदन

इन्दौर। कविता के मंच पर आपकी प्रस्तुति ही आपके भविष्य को तय करती है, यह बात कवि सम्मेलन के मंचों पर आने वाले हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है। वैसे भी कविता लोकरंजन का नहीं, लोक मंगल का विषय है। यह बात इन्दौर पधारी कवयित्री श्रद्धा शौर्य ने मातृभाषा डॉट कॉम द्वारा आयोजित ‘संवाद’ में कही।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नितेश गुप्ता ने श्रद्धा शौर्य का अभिनंदन किया।
श्रद्धा शौर्य मूलतः नागपुर की रहने वाली हैं व देशभर में ओजस्वी धारा की महत्त्वपूर्ण युवा कवयित्री हैं। सुश्री श्रद्धा ने कवि सम्मेलन पढ़ने वाले युवा साथियों से चर्चा की।
इस दौरान कवि आकाश यादव, रिया मोरे, निशा रघुवंशी आदि मौजूद रहे।

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