सुसारी – शैलेंद्र लड्डा
धार लोकसभा में साल 1967 से लेकर 2019 तक हुए 14 लोकसभा चुनाव में अभी तक 76 उम्मीदवार ने चुनाव लडा उसमे से महज चार महिला उम्मीदवार ही मैदान में उतरी जो की कुल उम्मीदवार की संख्या का पांच फीसद भी नही है एक तरफ राजनीतिक दल महिला सशक्तिकरण की बात तो करते है पर महिलाओ की राजनीति में भागीदारी बड़ाने में पीछे रह जाते है जिसके चलते अभी तक 14 बार हुए लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक बार धार जिले को अभी तक महिला सासंद मिल पाई है ।
धार लोकसभा का गठन 1967 में हुआ था उस समय झाबुआ लोकसभा से अलग करके धार लोकसभा का गठन किया था और यह लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग अजजा के लिए आरक्षित की गई थी इसमें धार जिले की 6 और बड़वानी जिले की दो विधानसभा को शामिल किया गया था वही अभी तक हुए लोकसभा चुनाव में तीन बार महिला उम्मीदवार लोकसभा चुनाव 1967, 1998 ,और 2014 में मैदान में उतरी है।
1967 में कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार मैदान में उतारा उसके बाद नही दिया किसी महिला को टिकट
धार लोकसभा का गठन 1967 में हुआ और इस साल चुनाव में कांग्रेस ने महिला नेत्री जमुनादेवी जब उनकी उम्र 38 साल थी और युवा थी इस अजजा वर्ग के लिए सुरक्षित सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया था पर वे इस सीट से चुनाव हार गई थी । जबकि इसके पूर्व वह 1962 के लोकसभा चुनाव में चुनाव में वह झाबुआ लोकसभा से कांग्रेस के टिकट से महज 33 साल की उम्र में सांसद बनी थी और 1962 के लोकसभा चुनाव में झाबुआ लोकसभा सीट में धार जिला शामिल था संसदीय क्षेत्र का नाम झाबुआ था । इसके बाद से लेकर 2019 तक हुए 13 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर कभी भी किसी महिला उम्मीदवार को मैदान में नही उतारा।
1998 में भाजपा ने पहली बार महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा –
1998 के लोकसभा चुनाव दरबार पति पत्नी के नाम से भी जाना जाता है । धार लोकसभा के लिए भाजपा ने 1996 में भाजपा से सासद रहे छतरसिंह दरबार को उम्मीदवार बनाया था पर उन पर चल रहे एक कोर्ट केस के चलते तत्कालीन चुनाव में अयोग्य होने के खतरे को देखते हुए भाजपा ने उनकी पत्नी हेमलता दरबार को मैदान में उतारा पर उन्हें इस चुनाव में हार मिली थी इसके पहले कभी भी भाजपा ने धार से महिला उम्मीदवार को मैदान मे नही उतारा था ।
2014 में पहली महिला सांसद धार लोकसभा को मिली
धार लोकसभा का गठन 1967 में हुआ इसके 47 साल बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में धार सीट से दूसरी बार किसी महिला उम्मीदवार को मोका देते हुए सावित्री ठाकुर को मैदान में उतारा था और उन्होंने यह लोकसभा का चुनाव जीता और धार से पहली महिला सांसद बनी वही वह धार लोकसभा में 47 साल के बाद कोई महिला सांसद चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची थी।
2014 में दो महिला उम्मीदवार मैदान में उतरी थी
साल 2014 के धार लोकसभा के चुनाव में आठ उम्मीदवार मैदान में उतरे थे इसमें से पहली बार दो महिला उम्मीदवार भी मैदान में उतरी थी इसमें से भाजपा ने मैदान में सावित्री ठाकुर को उतारा था वही कांग्रेस की महिला नेत्री जमुनादेवी के निधन के बाद उनकी पुत्री डा हेमलता जमुनादेवी ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर वे आम आदमी पार्टी से चुनावी रण में उतरी थी और चुनाव हार गई थी वही कांग्रेस ने यहा पर मैदान में जमुनादेवी के भाई के लड़के उमंग सिंघार को मैदान में उतारा था ऐसे में भाई और बहन भी आमने सामने चुनाव लडे थे 2014 में पर दोनो को हार नसीब हुई थी वही साल 1967 में जमुनादेवी ने चुनाव लडा था 47 साल बाद उनकी बेटी डा हेमलता जमुनादेवी मैदान में उतरी थी पर दोनो मां बेटी लोकसभा का चुनाव नही जीत पाई थी ।