इंदौर । हजारों वर्ष पुरानी देवताओं द्वारा प्राप्त आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति इतनी चमत्कारी है कि वह मृत्यु शैय्या पर पड़े व्यक्ति को भी चंगा कर सकती है, बस मानव की उसमे आस्था होना चाहिए। इसका प्रमाण है 7 वर्ष की मासूम मंदबुद्धि बालिका आरोही पुरोहित का। यह बालिका जन्मजात ना चल फिर सकती थी और ना बोल पाती थी। इससे मुक्ति पाने के लिए आरोही के माता पिता श्रुति कुणाल पुरोहित ने बड़े बड़े एलोपैथिक के डॉक्टरों, विशेषझो से लेकर फिजियोथेरेपिस्ट तक को दिखाया। एक एक महीना तक आरोही को हॉस्पिटल में एडमिट तक रखा। ग्लूकोज की बॉटल से लेकर महंगे इंजेक्शन तक लगे । लेकिन परिणाम सिफर रहा। चौतरफा चिकित्सा से आरोही के माता पिता निराशा की गर्त में चले गए और उन्हें कुछ भी नही सूझ रहा था।अंत में किसी ने बताया कि आरोही को आयुर्वेद चिकित्सक डॉ प्रेमचंद जैन को दिखाए। आशा की किरण जगी । डॉ. जैन ने आरोही की पहले काउंसलिंग की और एक पखवाड़ा की आयुर्वेद की दवाइया दी, जो चमत्कारी सिद्ध हुई। आरोही के शरीर में धीरे धीरे मूवमेंट होने लगा। होठ पर शब्द आने लगे और आज यह स्थिति है कि आरोही न केवल चल फिर लेती वरन सीढियां चढ़ लेती 1 किलोमीटर तक दौड़ लेती और साफ उच्चारण के साथ फरार्टेदार बोलती है। जिस आरोही को मंदबुद्धि स्कूलों में प्रवेश दिलाने की बात होती थी आज वह सामान्य स्कूल में आम बच्चो की तरह पहली कक्षा में पढ़ रही है। आरोही महेश्वर से अपने दादाजी अजय पुरोहित के साथ उपचार वास्ते तुकोगंज में डॉ. प्रेमचंद जैन के यहां कभी कभार आती है। डॉ. जैन कहते है ये मेरा नही आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का कमाल है जो असाध्य रोग में भी कारगर है। लकवा, माइग्रेन, बवासीर, घुटनों के दर्द में भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति लाभकारी है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का कमाल, 7 वर्ष की मासूम मंदबुद्धि बालिका आरोही पुरोहित अब होने लगी सामान्य
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