संवाददाता अमृतलाल मारू
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दसई ग्रामीण महिलाओं को आधुनिक तौर-तरीकों से यदि उन्नत बनाने के प्रयास किए जाएं तो इससे कम समय में अधिक लाभ की गुंजाइश बन सकती है । महिलाओं मे भी सरकारी प्रशिक्षण शिविरों के प्रति बढ़ते रुझान से यही लगता है कि आने वाले समय में सब कुछ भले ही डिजिटल ना भी हो पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर जरूर हो जाएगी । 5 दिनों तक दसई में चले कौशल उन्नयन शिविर में कृषि कार्य करने वाली बहनों को विभिन्न तकनिकीयो से अवगत करा कर उन्हें प्रशिक्षित किया गया।
ग्रामीण महिलाओं को लोन के माध्यम से वित्तीय सहयोग करने वाली एल.एंड.टी. फायनेंसियल सर्विसेज और सेवा मध्यप्रदेश द्वारा जिलेभर के गांवो में “डिजिटल सखी” प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है,जिसमे ग्रामीणों को डिजिटल लेनदेन,और जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी और उसका लाभ भी मिल रहा है। इसके साथ ही सिलाई, कृषि, दूध, डेयरी, बकरी पालन करने वालीउद्यमी बहनो को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके।
कृषि करने वाली बहनो को दसई की दर्जी धर्मशाला में सेडमैप के सहयोग से 5 दिन का कौशल उन्नयन प्रशिक्षण दिया गया गया। जिसमें सेडमैप के जिला समन्वयक प्रकाश तिलक, कैलाश कर्मा, गजेंद्र चौहान(कृषि विशेषज्ञ)सखाराम मुजाल्दा (वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी) ने बहनो को कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए मिट्टी परिक्षण, बीज की जानकारी,कीटनाशक,फसल चक्र ,फसलों के भंडारण,पाली हाउस, वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने की विधि समझाई और उससे रूबरू करने के लिए संजय पाटीदार के यहाँ विजिट कराया गया।प्रशिक्षण में सेवा मध्यप्रदेश से क्लस्टर कोर्डिनेटर पिंकी बाहेती,डिजिटल सखी सुनीता चौहान,अनिता पटेल,सुमित्रा कटारा, रेखा राठौर,रीना परमार,आरती चौहान,पार्वती वसुनिया,रंजीता ताहड़,राजू हटीला,ललिता झाला उपस्थित थे।उपरोक्त जानकारी सेवा मध्यप्रदेश के जिला समन्वयक हेमंत भारद्वाज द्वारा दी गई।