श्रीहरिकोटा। तीसरी पीढ़ी के उन्नत भू-सर्वेक्षण उपग्रह कार्टोसैट-3 का प्रक्षेपण बुधवार की सुबह यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के दूसरे लॉन्च पैड से किया गया। चंद्रयान-2 के बाद यह इसरो का पहला बड़ा मिशन है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी47 के जरिए कार्टोसैट-3 तथा उसके साथ 13 नैनो उपग्रहों का भी प्रक्षेपण दूसरे लांच पैड से सुबह 09.28 बजे किया गया है।
PSLV-C47 प्रक्षेपण यान पीएसएलवी की एक्सएल श्रेणी की 21वीं उड़ान है। कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह है जिसकी हाई रिजोल्यूशन इमेजिंग क्षमता है। कार्टोसैट-3 को 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर भूमध्यरेखा से 97.5 डिग्री की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।इसके अलावा पीएसएलवी-सी47 के जरिए अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया गया है जिन्हें इसरो की व्यावसायिक इकाई न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के तहत इस अभियान में शामिल किया गया है।
चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) में मिली आंशिक सफलता के बाद इसरो (ISRO) ने बुधवार को एक बार फिर अंतरिक्ष में सफलता का झंडा गाड़ा।
अमेरिका के 13 नैनो सैटेलाइट समेत तीसरी जनरेशन का कार्टोसैट-3 (Cartosat-3) को सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित कर दिया।
इन सभी उपग्रहों को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV c47 के जरिए लांच किया गया।
मिशन की सबसे बड़ी खूबी कार्टोसेट 3 (Cartosat-3) है। इसे आसमान में भारत की आंख (India’s Eye on Sky) बताया जा रहा है।