SDM रजक ने किया जिला चिकित्सालय का आकस्मिक निरीक्षण , चिकित्सको को पढ़ाया व्यक्तिगत गुण का पाठ

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SDM जीवन रजक ने किया जिला चिकित्सालय का आकस्मिक निरीक्षण , चिकित्सको को पढ़ाया व्यक्तिगत गुण का पाठ

जीवन रजक ने किया शनिवार को जिला चिकित्सालय का आकस्मिक निरीक्षण , चिकित्सको को पढ़ाया व्यक्तिगत गुण का पाठ

नेत्र रोग चिकित्सा विशेषज्ञों के हाथों में जिला चिकित्सालय फिर भी क्यों नही दिखाई देती हॉस्पिटल में तमाम अव्यवस्था ।

देवास – जिला चिकित्सा अधिकारी सरकार की तमाम स्वास्थ्य योजनाओं को ठेंगा दिखाते नजर आते है , ये अपने शासकीय हॉस्पिटल की व्यवस्था भी ठीक से नही चला पा रहे। इन्हें तो केवल प्रायवेट हॉस्पिटलों, पैथालॉजी की जांच करना और ओर वहां की अव्यवस्था के नाम पर अपनी जेब भरना तथा उच्चधिकारियों को आर्थिक लाभ पहुचने के अनेको बार आरोप लगते आए है। यहा तक कि इन्हें हॉस्पिटलों के रजिस्ट्रेशन निलंबन व निलंबन निरस्त करने के प्रेसनोट जारी करने पड़ते है। आज भी सब जगह अव्यवस्था व्याप्त है । जिला अस्पताल की बात करे तो यहां पर चिकित्सकों का काम केवल मरीजो का रजिस्ट्रेशन करना ही रह गया है जब कभी कोई एमरजेंसी चिकित्सा की बात हो तो कोई भी चिकित्सक रिस्क लेना नही चाहता । कोई भी चिकित्सक अपना चिकित्सीय धर्म नहीं निभाना चाहते। बड़ी, बड़ी चिकित्सकीय डिग्रीधारी चिकित्सक जिला हॉस्पिटल में केवल खाना पूर्ति के लिए ही रह गए है। उनसे तो ज्यादा हिम्मत का काम तो एक ड्रेसर,कंपाउंडर ओर गांव में प्राथमिक चिकित्सा करने वाले व्यक्ति को ये बड़ी बड़ी डिग्रीधारी चिकित्सक फर्जी ओर झोलाछाप कहते है पर वास्तव में तो इनके इस व्यवहार को देखते हुए यह तो एक आम आदमी इन्हें ही फर्जी कहने से परहेज नहीं करता । एस डी एम जीवन रजक ने शनिवार को आकस्मिक निरीक्षण के दौरान चिकित्सको के व्यक्तिगत गुण की नसीहत तक दे डाली । एसडीएम रजक ने आकस्मिक जिला अस्पताल में निरीक्षण करते हुए तमाम जगह जैसे हाजरी रजिस्टर, मरीजो के आसपास की सफाई, टीकाकरण, कुपोषण से सम्बंधित जानकारी, ट्रामा सेंटर, ओर लेबर रूम ओर अंतत: शौचालय तक निरीक्षण किया तो उन्हें भी लगा कि वास्तव में जिस हॉस्पिटल की बागडोर नेत्र चिकित्सक के हाथों में है फिर भी उन्हें यह सब क्यों नजर नही आया ओर उन्हें भी व्यवहारिक ओर व्यक्तिगत गुण का पाठ सिखाने की जरूरत पड़ी । जिला कलेक्टर ने सभी समस्या को समझते हुए त्वरित कार्यवाही करते हुए डॉ सक्सेना एवं दो अन्य महिला चिकित्सको को कारण बताओ नोटिस भी थमा दिया। परन्तु आम जन का मानना है कि यही एक पेज(जिस पर कारण बताओ नोटिस लिखा गया) किसी जरूरत मंद विद्यार्थियोंको इस महंगी शिक्षा के जमाने मिलजाता तो शायद वह भी अपना, सपना पूरा कर लेता। लेकिन ऐशो आराम की कुर्सी पर बैठे इन ज्ञान के अंधे चिकित्सको के कान पर जूं तक नही रेंगेगी। बड़ी बात नही होगी कि कारण बताओ नोटिस को भी कूड़े दान फेंक दिया जाए।

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