जिस घर में बेटी का जन्म होता है वहां माँ उमा, अम्बिका और भवानी का वास रहता है…श्रीराम कथा में आन्दगीरीजी

436 Views
जिस घर में बेटी का जन्म होता है वहां माँ उमा, अम्बिका और भवानी का वास रहता है – संत श्री आनंदगिरी जी महाराज 
देवास। बेटे कर्म का प्रतिफल होते हैं मगर बेटी सौभाग्य का प्रतिफल होती है। बेटी के जन्म के समय जिस घर में खुशी नहीं मनायी जाती है उस से घर और परिवार को सुख नहीं मिलता, कन्या अपने भाग्य को लेकर पैदा होती है और परिवार को सौभाग्य देकर जाती है। जगत जननी आदि शक्ति के तीन स्वरूप माँ उमा, मनुष्य के जीवन में उमंग, उत्साह और आनंद का संचार करती है, माँ अम्बिका धन धान्य और वैभव का सुख प्रदान करती है, माँ भवानी जीवन के कष्ट, रोग और शत्रु का नाश करती है, अर्थात जिस घर में बेटी का जन्म होता है वहां माँ उमा, अम्बिका और भवानी का वास होता है। यह समाज उत्थान आध्यात्मिक विचार क्षिप्रा के तट पर हो रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन शिव पार्वती विवाह प्रसंग के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संत श्री आनंद गिरी जी महाराज ने व्यासपीठ से व्यक्त करते हुए कहा कि जब माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से तय हो गया तो भगवान शिव के भूतेश्वर स्वरूप को देखकर माँ पार्वती की माता मैना ने नारद से क्रोध में आकर कहा कि मेरी बेटी के लिए ऐसे वर को क्यों चुना गया ? तब देवर्षी नारद ने माता सती की कथा के माध्यम से पर्वती के पूर्वजन्म की कथा का बखान किया और कहा कि आपको आदि शक्ति की माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है यह आज तक किसी को प्राप्त नहीं हुआ है। तब पार्वती के पिता राजा हिमालय और माता मैना ने पुत्री पार्वती के चरणों की पूजा की तब से ही हमारे सनातन धर्म में विवाह के दौरान कन्या के पांव पूजने की वैदिक प्रथा आज तक चल आ रही है। कन्या का पूजन ही देवी का पूजन होता है और यह सौभाग्य एक कन्या के माता पिता को ही प्राप्त होता है। 
वर्तमान दौर में बालिकाओ को पर्वती को अपना आइडियल बनाना चाहिये 
पार्वती ने भगवान शिव को अपना पति बनाने के लिए घोर तपस्या की वे अनेक परीक्षाओं से गुजरी, माता पार्वती जैसा धैर्य और लक्ष्य को अपने जीवन मेें उतारने वाली बालिका ही अपने सौभाग्य को उज्ज्वल बना सकती है। पार्वती सच्चे इरादे और पवित्र भाव का प्रतीक है। वे लोग अपने हितेषी नहीं हो सकते जो माता पिता की निंदा करे, राष्ट्र की निंदा करें, गुरू की निंदा करें, जीवन साथी की निंदा करें और दूसरों के इष्ट की निंदा करें। इन पाँच लोगों से दूर रहकर ही व्यक्ति राम की तरह आदर्श बन सकता है। 
श्रीराम कथा में माता सति द्वारा प्रभु श्रीराम के अवतार पर शंका करने एवं प्रभु श्रीराम की परीक्षा लेने के कारण भगवान ने शिव ने सति को पत्नी के अधिकार से वंचित कर दिया, पिता दक्ष प्रजापति ने बेटी का अपमान कर यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया, ईश्वर पर शंकित होने का भाव भी अपराध है। 
परमात्मा अतर्क है हमारे समझने में तर्क हो सकता है किंतु परमात्मा के लिए कोई तर्क नहीं होता। प्रभु का ध्यान करोकगे वो वहां मिलेगा भक्ति भाव से होती है दिखावे से नहीं, जहां भाव है वहां भगवान है। 
भगवान शिव और पार्वती के विवाह में शिवजी की बारात का रोचक वर्णन करते हुए अनेक प्रसंगों की सुंदर व्याख्या करते हुए परमात्मा की लीला का आध्यात्मिक विश्लेषण कर भक्ति के प्रताप का महत्व बताया। 
Translate »