सत्य का मार्गदर्शन कराता है भागवत तो भारत की भूख मिटाता है हलधर , किसान

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*सत्य का मार्गदर्शन कराता है भागवत तो भारत की भूख मिटाता है हलधर , किसान*

#सनातन राष्ट्र भारत के समान ही भागवत पुराण का ज्ञान सनातन है*
#भागवत का प्रारंभ परमार्थ कल्याण व सत्य से ही

*बड़वानी से कपिलेश शर्मा*

 

जिले के राजपुर में चल रही भागवत कथा में आज भारत के सभी किसान भाइयो को किसान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए साध्वीजी ने किसानों के बारे में अपनी चिंता को व्यक्त किया जिस धरती पर श्रीकृष्ण गौ पालक व श्री बलराम स्वयं किसान बन कर आए वहां उन्ही के प्रतिरूप किसानों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। दीदी मां ने कहा कि जब तक भारतीय किसान निर्धन और अशिक्षित है, तब तक देश की उन्नति नहीं कर सकता । हर तरह से उसकी सहायता कर उसको स्वावलम्बी और शिक्षित बनाया जाना चाहिये । हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हमें ‘जय किसान, जय जवान’ का नारा दिया था । यह हमारे हलधरों के महत्व को रेखांकित करता है । परन्तु अभी भी उनकी हालत बड़ी दयनीय है । उनकी इस दशा को सुधारने के हर संभव प्रयत्न किये जाने चाहिये । उनकी उन्नति और विकास पर ही देश की समृद्धि टिकी है ।

कथा को आगे की और प्रवाह करते हुए साध्वी श्री बताया कि हर धर्म को सम्मान देना हमारी संस्कृती है धर्म , शास्त्र और सिद्धांतों का जन्म मनुष्य जीवन के कल्याण के लिए हुआ है l लड़ाई के लिए नहीं ।दीदी मां ने कहा कि संसार में धर्म और शास्त्र हम सबको एक साथ प्रेम से मिलकर रहना सिखाते है l धर्म शास्त्रो में सुनी गयी बातों , कथाओ का और उनसे मिलने वाली शिक्षाओ को सकारात्मक रूप में हमेंअपने जीवन में उतारना चाहिए l वो शिक्षा किसी एक व्यक्ति के लिए ही नही होती समस्त स्तर के श्रोतागण के लिए होती है।जैसे धुंधकारी था तो प्रेत पर उसने आत्म शुद्धि के लिए इस कथा को बड़े ही ध्यान से सुनकर जीवन में उतारा तो उसका कल्याण हो गया।

हर धर्म को सम्मान देना ,प्रेम व भाई चारे से रहना ये भारत की और हमारी संस्कृति है l आदमी के जीवन में इतनी ऊँचाइयाँ रहनी चाहिए की वह हर व्यक्ति के गुणो और धर्म का सम्मान कर सके l

# दीदी मां ने बताया कि जब वेदव्यास जी कलयुग के समय को देखकर चिंतित थे तब जगत कल्याण के लिए इस पुराण की रचना की। साध्वी श्री अखिलेश्वरी दीदी मां नेपुराण की महिमा को सनातन बताते हुए कहा कि जिस तरह भारत राष्ट्र सनातन है वैसे ही भागवत ज्ञान भी सनातन हैl , इसी ज्ञान से हम संसार रूपी भवसागर को पार कर सकते है। साध्वीजी ने
सनातन का अर्थ बताते हुए कहा कि जो शाश्वत हो, सदा के लिए सत्य हो। वही सनातन कही गई है। जैसे सत्य सनातन है। ईश्वर,आत्मा,मोक्ष ही सत्य है,और इस सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन धर्म यानी भागवत भी सत्य है। वह सत्य जो अनादि काल से चला आ रहा है और जिसका कभी भी अंत नहीं होगा वह ही सनातन या शाश्वत है। जिनका न प्रारंभ है और जिनका न अंत है।उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप सनातन सत्य है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है।

दीदी मां ने कथा को आगे बढ़ाते हुए निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म प्रसंग को सुनाया ।उन्होंने बताया कि स्वंय कुन्ती देवी श्री कृष्ण के द्वारका गमन के लिए तैयार होने पर उनके सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि वो सोचती है कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। इसलिए सुख नही दुःख का जीवन चाहिए। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया ।

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