अरविंद केजरीवाल को सर्वोच्च न्यायालय से मिली जमानत, करेंगे हरियाणा में चुनाव प्रचार

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न्यायालय ने कई शर्तें भी लगाईं, न दफ्तर जा पाएंगे और न ही साइन करेंगे कोई फाइल

नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्वल भुइयां की बेंच ने कई शर्तों और 10 लाख के निजी मुचलके पर जमानत दी है। केजरीवाल पर वही शर्ते रहेंगी जो ईडी के केस में मिली बेल के दौरान थीं। इससे पहले शीर्ष अदालत ने सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी को अवैध नहीं माना था पर कहा कि किसी भी नेता को बहुत दिनों तक जेल में नहीं रखा जा सकते।

जस्टिस सूर्यकांत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एफआईआर अगस्त 2022 में दर्ज की गई थी और 4 चार्जशीट दायर की जा चुकी है। ट्रायल कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और 17 आरोपियों की जांच की जानी है। निकट भविष्य में मुकदमे के पूरा होने की संभावना नहीं है। जमानत के लिए केजरीवाल तीन शर्तों को पूरा करते हैं, इसके आधार पर जमानत मंजूर की जाती है। कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 10 लाख रुपये के जमानत बांड के अधीन जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हैं।

सुनवाई के बाद फैसला रख लिया था सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट में 5 सिंतबर को केजरीवाल की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई तथी, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। केजरीवाल ने जमानत की मांग करते हुए कहा था कि सीबीआई ने इस मामले में दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया। इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग जैसे कठोर कानून में केजरीवाल को जमानत मिल चुकी है। मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। इस मामले में अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और केजरीवाल से समाज को खतरा नहीं है और उनके भागने का कोई अंदेशा नहीं है। इस कारण उन्हें जमानत दी जाए।

कई शर्तों के साथ केजरीवाल को मिली जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई वाले मामले में केजरीवाल को जमानत जरूर दे दी है, लेकिन इसके साथ ही उन पर शर्तें भी लगाई गई हैं। कोर्ट ने कहा कि ईडी मामले में मिली अंतरिम जमानत पर लागू शर्तें इस मामले में भी लागू रहेंगी। जमानत अवधि के दौरान वह शराब नीति मामले में टिप्पणियां नहीं करेंगे। बतौर सीएम दफ्तर नहीं जा पाएंगे और किसी मंत्री की नियुक्ति भी नहीं कर पाएंगे। कोर्ट ने उन्हें कोई भी फाइल साइन करने से मना किया है, लेकिन हरियाणा चुनाव में प्रचार की छूट उन्हें दी है।

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