मैं बनी ही एक्टिंग के लिए हूँ-अदिति भटपहरी

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(जय सिंह रघुवंशी, मुम्बई)


जून के पहले सप्ताह में प्रदर्शित होनेवाली फिल्म “हमारे बारह” आजकल बहुत चर्चा में है। प्रस्तुत है उसी फिल्म से नायिका के रूप में अपनी शुरुआत करनेवाली नवोदित अभिनेत्री अदिति भटपहरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

सबसे पहले अपनी पृष्ठभूमि के बारे में कुछ बताइए?

मैं रायपुर, छत्तीसगढ़ में पली-बढ़ी हूँ। पढ़ने-लिखने में मैं शुरू से ही बहुत तेज़ थीं, और मैंने रायपुर के NIT (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) से इंजीनियरिंग में B-tech. की डिग्री भी ली है। लेकिन बचपन से ही मेरे मन में सिर्फ एक ही सपना पल रहा था—फिल्म अभिनेत्री बनने का! स्कूल के समय से ही मेरी अभिनय में रुचि थी। पर मन ही मन मुझे ये सोच के हँसी भी आती थी कि रायपुर जैसे छोटे शहर में रहते हुए मैं मायानगरी मुंबई की फिल्मी दुनिया में अपने लिए कोई जगह कैसे बना पाऊँगी? न तो मेरा कोई फिल्मी बैकग्राउंड था न ही मेरे परिवार का फिल्मी दुनिया से दूर-दूर तक का कोई नाता था! मेरे पापा सरकारी अधिकारी हैं और मेरी मम्मी का अपना बिजनेस हैं। मैं परिवार में सबसे बड़ी हूँ और मेरे दो छोटे भाई भी हैं। पर मेरा मन बार-बार मेरे से कहता था कि मुझे यही करना है!
पहली बार अभिनय करने का मौका कैसे मिला?

जब मैं कॉलेज में पढ़ रही थी तो एक बार किसी ने मुझे एक विडियो ऑफर किया। उसमें काम करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरा अभिनय कमज़ोर है! मैं निराश हो गयी। मैंने अभिनेत्री बनने का अपना सपना छोड़ दिया और UPSC करने दिल्ली चली गयी ! लेकिन फिर कोविड का दौर शुरू हो गया। ये दौर मेरे लिए बहुत तकलीफदेह साबित हुआ! उस दौर में काफी सोचने-समझने के बाद मुझे इस बात का एहसास हो गया कि मैंने गलत फैसला कर लिया है। अगर मुझे कुछ करना है तो वो है सिर्फ अभिनय! आखिरकार मैंने ठान लिया कि मैं मुंबई जा कर फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाऊँगी। मेरे दोनों छोटे भाइयों ने भी मेरा साथ दिया। इतना ही नहीं, जब मैंने अपने मम्मी-पापा से मुंबई जाने की इजाज़त मांगी, तो उन्होंने बिलकुल भी इस बात का विरोध नहीं किया। वो मेरा दिल नहीं तोड़ना चाहते थे, हालाँकि मन ही मन वो जानते थे कि बिना किसी जान-पहचान के मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाना कितना मुश्किल काम है। उनका ख़याल था कि दो-तीन महीने कोशिश करने के बाद मैं ख़ुद ही वापस लौट आऊँगी! उसके बाद मैं मुंबई आ गयी।
मुंबई आने के बाद कितनी स्ट्रगल करनी पड़ी ?

मुंबई आने के बाद मैंने संघर्ष शुरू करने के बजाय पहले अपने अभिनय को पॉलिश करने का फैसला किया। पहले मैंने अनुपम खेर जी का एक्टिंग इंस्टीट्यूट जॉइन किया। वहाँ मुझे काफी-कुछ सीखने का मौका मिला। उसके बाद मैंने जाने-माने एक्टिंग कोच अतुल माथुर के साथ एक्टिंग की ट्रेनिंग ली। उससे भी मुझे बेहद फायदा हुआ। इसके बाद मैंने ऑडीशंस देने शुरू किये और ऑडीशंस देते-देते ही मुझे फिल्म “हमारे बारह” बारह मिल गयी जिसमें मेरी मुख्य हीरोइन की भूमिका है। फिल्म में मेरे नायक पार्थ समथान हैं। वो काफी सपोर्टिव थे। निर्देशक कमल चंद्रा के साथ काम करके बहुत अच्छा लगा। वो एक बहुत ही बेहतरीन निर्देशक हैं।
फिल्म में अनु कपूर की केंद्रीय भूमिका है। उनके साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा?

बहुत अच्छा। कुछ सीन में मेरे डायलॉग नहीं थे। लेकिन उन सीन्स में भी उन्होंने मेरे डायलॉग डलवा दिये। उनके साथ काम करना बहुत अच्छा अनुभव रहा।
फिल्म इन दिनों अपनी थीम की वजह से काफी विवादों में है। सुना है आपको काफी धमकियाँ भी मिल रही हैं…

जी हाँ, आपने बिलकुल ठीक सुना है। हमें काफी धमकियाँ मिली हैं जिसकी वजह से मुम्बई की पुलिस की तरफ से हमें प्रोटेक्शन दिया गया है। मगर फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसकी वजह से कोई बखेड़ा शुरू हो। फिल्म के प्रदर्शित होने से पहले ही लोगों को किसी नतीजे पर नहीं पहुँचना चाहिए।
आगे की योजनाएँ?
वो तो इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद ही मैं आपको बता सकूँगी। मुझे इस फिल्म से बहुत उम्मीदें हैं क्योंकि इसमें मेरी काफी शक्तिशाली भूमिका है।

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