डोल ग्यारस के जूलुस में नहीं बजे डीजे…प्रशासन की सख्ती का असर

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आनंद जैन

इंदौर। त्योहारों पर भी प्रशासन की सख्ती का असर दिखने लगा है। कारण बीना शोर शराबे के अंखाडे का निकलना। वर्षो पुरानी पंरम्परा को निभाने वाले सामाजिक संगठनों ने मंदिरों की झांकी के साथ डोल ग्यारस का जूलूस निकाला। इसमें भगवान क्रष्ण के साथ राधा भी रथ पर सवार होकर निकली । इन डोल की अगवानी करने के लिए कई अंखाडे भी शामिल हुए,लेकिन बडी शांति के साथ निकले। पहले इन अंखाडों के साथ दो चार डीजै की गाडियां भी शामिल रहती थी । जिसमे भंजनो पर युवाओं की टोली थिरकती नजर आती थी । जगह जगह रोक कर स्वागत मंचों से इन डोलों और अंखाडों का स्वागत किया जाता था।हर मंच के सामने पहलवान अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर दाद के साथ ईनाम भी प्राप्त करता। इस बार प्रशासन ने सख्ती से आदेश दिया है कि किसी भी धार्मिक आयोजन में डीजे प्रतिबंधित रहेगा। पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसी का असर कल देखने को मिला। झांकी, अखाडों के साथ बैंड बाजे थे लेकिन डीजे का शोर नहीँ था। जगह जगह लगने वाले स्वागत मंच भी नदारद रहे ।पुलिस ने सख्ती के साथ किसी भी अंखाडे को ज्यादा देर एक स्थान पर रूकने नहीं दिया। उस्ताद खलीफाओं के साथ पहलवान भी इस तरह की सख्ती से परेशान नजर आए। माना जाए तो परम्परा पर प्रशासन की सख्ती भारी नजर आई।

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