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देवास-खतेगांवकी जीवनदायिनी मां नर्मदा के तट पर सोमवार सुबह से ही पितरों को सैकड़ों लोगो ने नर्मदा जल से तर्पण किया।श्राद्ध पक्ष शुरू हुये। श्राद्ध पक्ष के प्रथम दिन खातेगांव क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में लोगों ने पितरों को तर्पण किया। पितरों की याद में उनकी आत्मा शांति के लिए श्राद्ध पक्ष में भोजन प्रसादी दान पुन जैसे अनेक कार्य किए गए 16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष के प्रथम दिन सही श्राद्ध कार्य प्रारंभ हो गया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश गौ संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष नारायण व्यास ने श्राद्धपक्ष का महत्व बताते हुए कहा कि पितृ आत्मा की शांति के लिए 16 दिनों तक श्राद्ध पक्ष में दानपुर ब्राह्मण भोजन इत्यादि अनेक पूर्ण कार्य करने से पितृ आत्मा को शांति मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस अवधि में पूर्वज मोक्ष प्राप्ति की कामना लिए अपने परिजनों के निकट अनेक रूपों में आते हैं। इस पर्व में अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व उनकी आत्मा की शांति देने के लिए श्राद्ध किया जाता है और उनसे जीवन में खुशहाली के लिए आशीर्वाद की कामना की जाती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार जिस तिथि में माता-पिता, दादा-दादी आदि परिजनों का निधन होता है। इन 16 दिनों में उसी तिथि पर उनका श्राद्ध करना उत्तम रहता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उसी तिथि में जब उनके पुत्र या पौत्र द्वारा श्राद्ध किया जाता है तो पितृ लोक में भ्रमण करने से मुक्ति मिलकर पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है। हमारे पितरों की आत्मा की शांति के लिए ‘श्रीमद भागवत् गीता’ या ‘भागवत पुराण’ का पाठ अति उत्तम माना जाता है।