शहर के संवेदनशील नागरिक और पशु-प्रेमियों द्वारा पत्रकार वार्ता में आवारा कुत्तों को लेकर उठाए कई मुद्दे

27 Views

जानवरों के साथ मानवीय व्यवहार हो

इंदौर। शहर के संवेदनशील नागरिक और पशु-प्रेमियों द्वारा आज सोमवार को एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें उन्होंने पत्रकारों के समक्ष मूक पशु कुत्तों को लेकर विभिन्न मुद्दे उठाते हुए कहा कि बिना उचित शेल्टर उपलब्ध कराए कुत्तों को उठाया जा रहा है, एबीसी और मानवीय प्रक्रिया संबंधी नियमों का पालन नहीं हो रहा, यह स्पष्ट नहीं है कि कुत्तों को कहाँ ले जाकर रखा जा रहा है, और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।
इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में इंदौर के संवेदनशील नागरिक और पशु-प्रेमी तुषार शेंडे, सुरभि हब्लानी रिंझिम शेंडे और कोमल ने बताया कि हम इंदौर के कुछ सामान्य नागरिक हैं, परिवार, छात्र, नौकरीपेशा लोग और पशु-प्रेमी जो अपने शहर की भलाई की उतनी ही चिंता करते हैं, जितनी इन मासूम जानवरों की, जो हमारे साथ इस शहर में रहते हैं। पिछले कुछ दिनों में, सुप्रीम कोर्ट के 7 नवम्बर 2025 के आदेश को इंदौर में जिस तरह लागू किया जा रहा है, उसे लेकर हम सभी के मन में कई गंभीर सवाल और चिंताएँ उठी हैं। जमीन पर जो हो रहा है, वह कोर्ट द्वारा अपेक्षित मानवीय और वैधानिक प्रक्रिया से बहुत अलग दिख रहा है। उन्होंने कहा कि हम किसी के विरोध में नहीं हैं। हम केवल चाहते हैं कि कानून का पालन हो, जानवरों के साथ मानवीय व्यवहार हो और शहर के नागरिकों को पशुओं से संबंधित सही जानकारी मिले। शहर के संवेदनशील नागरिक और पशु-प्रेमियों द्वारा इन मामलों को 13 जनवरी 2026 को होने वाली सुनवाई और अनुपालन रिपोर्ट देखने हेतु सूचीबद्ध किया जाएगा।
न्यायालय सार्वजनिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और आवारा कुत्तों के प्रबंधन के हित में जो निर्देश जारी किए गए हैं उसके अनुसार सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अपनी संबंधित स्थानीय/नगर पालिका प्राधिकरणों के माध्यम से दो सप्ताह के भीतर अपने क्षेत्र में स्थित सभी सरकारी एवं निजी शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल सार्वजनिक खेल परिसर/स्टेडियम, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों की पहचान संस्थानों के प्रशासनिक प्रमुख, संबंधित स्थानीय/नगर प्राधिकरणों के माध्यम से और जिला मजिस्ट्रेट की समग्र निगरानी में इन  परिसर को पर्याप्त फेंसिंग, बाउंड्री वॉल, गेट आदि संरचनात्मक एवं प्रशासनिक उपायों के द्वारा सुरक्षित किया जाए ताकि आवारा कुत्ते परिसर में प्रवेश न कर सकें। यह कार्य अधिमानत 8 सप्ताह में पूरा किया जाए और नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा, जो आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने का जिम्मेदार होगा। उस अधिकारी का विवरण संस्थानों के प्रवेश द्वार पर प्रदर्शित किया जाए। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाए और संबंधित अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जाए।
आवारा कुत्ते को पकड़कर निर्दिष्ट शेल्टर में ले जाया जाए, और उसे नसबंदी और टीकाकरण के बाद वहीं रखा जाए।
उन्होंने बताया कि कुत्तों को वापस उसी स्थान पर छोड़ा नहीं जाएगा। न्यायालय ने यह निर्देश जानबूझकर दिया है ताकि ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से हटाया जा सके। सभी सरकारी एवं निजी अस्पतालों में एंटी-रेबीज़ वैक्सीन और इम्यूनोग्लोव्युलिन का पर्याप्त स्टॉक हर समय उपलब्ध होना चाहिए। खेल परिसर और स्टेडियम के प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना होगा कि सुरक्षा/ग्राउंड-कीपिंग कर्मचारी 24 घंटे करें ताकि कोई आवारा कुत्ता प्रवेश न कर सके। रेलवे प्राधिकरण, राज्य परिवहन निगम और नगरपालिका निकाय यह सुनिश्चित करें कि परिसर सुरक्षित हों और वहाँ आवारा कुत्तों के रहने की संभावना समाप्त हो। इसके इसके लिए उचित कचरा प्रबंधन, नियमित निरीक्षण, भोजन स्रोतों को हटाना शामिल है।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड 4 सप्ताह के भीतर विस्तृत एसओपी जारी करे, जिसमें सभी संस्थानों के लिए  कुत्तों के काटने से बचाव, संस्थान परिसर में आवारा कुत्तों का प्रबंधन के लिए एक समान दिशानिर्देश हों। संस्थानों की सुरक्षा हेतु उठाए गए कदम को लेकर सभी 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्या सचिव आठ सप्ताह के भीतर अनुपालन शपथपत्र दाखिल करे जिसस यह उल्लेख हो। इन निर्देशों के किसी भी उल्लंघन को अत्यंत गंभीरता से लिया जाएगा और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध सुओ-मोटो अवमानना कार्यवाही शुरू की जा सकती है। उन्होंने बताया कि शहर के संवेदनशील नागरिक और पशु-प्रेमियों द्वारा इन मामलों को 13 जनवरी 2026 को आगे की सुनवाई और अनुपालन रिपोर्ट देखने हेतु सूचीबद्ध किया जाएगा

Translate »