विधायकों की खरीद-फरोख्त के मुद्दे पर विधानसभा में हंगामा, विपक्ष ने किया वॉकआउट

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(असम से प्रकाश कायेस्थ कि खास रिपोर्ट)

गुवाहाटी। राज्यसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त को लेकर विपक्षी सदस्यों ने सोमवार को असम विधानसभा से वॉकआउट किया।
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस सदस्य एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और सत्तारूढ़ भाजपा असम की दोनों राज्यसभा सीटें जीतने के लिए कथित तौर पर विधायकों को ‘खरीदने’ की कोशिश करके ‘अलोकतांत्रिक गतिविधियों’ में लिप्त है। असम की दो राज्यसभा सीटों के लिए 31 मार्च को चुनाव होगा।विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने विपक्षी सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल जारी रखने में सहयोग देने की अपील की। हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष की अपील अनसुनी कर दी।

मुख्यमंत्री सरमा ने कांग्रेस के निलंबित विधायक शशिकांत दास से मुलाकात के बाद रविवार को दावा किया था कि वह आगामी राज्यसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करेंगे।

सैकिया ने कहा, “यह विपक्ष और लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर कहा है कि सभी कांग्रेस और विपक्षी विधायक भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार हैं।सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया, जिसके चलते सदन में हंगामे की स्थिति बन गई। विपक्षी नेताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी और सरकार विरोधी नारों वाली तख्तियां लहराईं।

कांग्रेस, एआईयूडीएफ, माकपा और रायजोर दल जैसी विपक्षी पार्टियों के सदस्य आसन के समक्ष पहुंच कर सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे। जवाब में भाजपा सदस्यों ने भी नारे लगाए।

दैमारी ने कहा, “आप (विपक्षी सदस्य) कृपया बैठकर इस मुद्दे पर चर्चा करें। तभी, हम इसे हल कर सकते हैं। सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करने में कोई समस्या नहीं है। राज्यसभा चुनाव नियम के अनुसार होंगे।”प्रश्नकाल जारी रहने के दौरान आसन के समक्ष लगातार 35 मिनट तक नारेबाजी करने के बाद चारों विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया।

भाजपा ने राज्यसभा की एक सीट के लिए पबित्रा मार्गेरिटा, जबकि दूसरी सीट के लिए यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के कार्यकारी अध्यक्ष रंगवारा नारजारी को उम्मीदवार बनाया है।

जिन दो सीटों के लिए चुनाव होने हैं, उन पर फिलहाल कांग्रेस के रिपुन बोरा और रानी नारा काबिज हैं। बोरा इस बार विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा चुनाव की दौड़ में शामिल हैं।सत्तारूढ़ गठबंधन का एक उम्मीदवार आसानी से निर्वाचित होने की स्थिति में है, लेकिन विपक्ष अगर अपने एकमात्र उम्मीदवार के लिए एकजुट होकर वोट देता है तो उसे कुछ वोटों की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

असम की सात राज्यसभा सीटों में से भाजपा के पास फिलहाल तीन, जबकि कांग्रेस के पास दो सीटें हैं। उच्च सदन में भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) का एक सदस्य है, जबकि एक सीट निर्दलीय के पास है।

वहीं, 126 सदस्यीय असम विधानसभा में भाजपा के 63, जबकि उसकी सहयोगी एजीपी और यूपीपीएल के क्रमश: नौ व सात सदस्य हैं।इसी तरह, विपक्षी खेमे में कांग्रेस के पास 27, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के पास 15, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के पास तीन और माकपा के पास एक सीट है। असम विधानसभा में एक निर्दलीय विधायक भी है।

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