आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने पत्रकार वार्ता में किए खुलासे
आखिरकार क्यों छुपाएँ जा रहें असल आंकड़ें?
सूचना का अधिकार आंदोलन ने इंदौर में आयोजित पत्रकारवार्ता में यह खुलासा किया। संस्था ने पिछले पखवाड़े ही इंदौर में कोरोना से हुई मौतों को विलंब से घोषित करने का मामला भी उजागर किया था। मंच के संयोजक अजय दुबे ने बताया कि मार्च अंत से दो दिन पूर्व तक इंदौर के एम.टी.एच. हाॅस्पिटल, एम.आर.टी.बी. हाॅस्पिटल और एम.आर.टी.बी. चेस्ट सेन्टर में इलाज के लिये भर्ती 250 से अधिक मरीजों की मृत्यु हो गई लेकिन इन्हें कोरोना मरीज या कोरोना संदिग्ध मरीज नहीं माना गया। उन्होंने ऐसे मृतकों की सूची सार्वजनिक की।
इन्दौर । कोरोना काल के दौरान अप्रैल में हुई कोरोना से मौत के आंकड़ों में संशोधन के साथ जुलाई में दिया जा रहा है, यह भी एक संदेह का विषय हैं। सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने आरोप लगाया कि कोरोनाकाल में इंदौर में 250 से अधिक कोरोना मरीजों की मौत को छुपाया गया है। संस्था ने राज्य शासन से मांग की है कि वह ऐसी तमाम मौतों की नई कमेटी बनाकर डेथ ऑडिट करें और इसके लिये जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
श्री दुबे ने कहा कि इंदौर में कोरोना मरीजों और मृतकों के मामले में अमानवीय और आपराधिक रवैया अपनाते हुए पहले मौत के आंकड़े छुपाये और अब मौत पर पर्दा डाल दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाईड लाईन का उल्लंघन करते हुए इन हाॅस्पिटल में भर्ती मरीजों का कोरोना टेस्ट भी नहीं किया गया। श्री दुबे ने कहा कि इंदौर के अन्य रेड कैटेगिरी के निजी हाॅस्पिटल में भी ऐसी मौतों को छुपाया गया है, जिन्हें जल्द उजागर किया जाएगा।
श्री दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि मेडिकल काॅलेज के अधीन इन तीनों हाॅस्पिटल में करीब 15 ब्राड डेथ भी हुई। इन मरीजों को गंभीर अवस्था में होने के बावजूद हाॅस्पिटल प्रबंधन और चिकित्सकों द्वारा एडमिट नहीं किया गया और इन्होंने हाॅस्पिटल की चैखट पर दम तोड़ दिया। श्री दुबे ने इंदौर के नागरिकों से भी अपील की है कि कोरोना काल में मरीजों की मौत पर पर्दा डालने और मौत के कारणों को जबरदस्ती बदलवाने की खुलकर शिकायत करें । यह शिकायत ajay20dubey@gmail.com पर की जा सकती है।
सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को पुनः पत्र लिख कर इंदौर में कोरोना प्रबंधन पर प्रश्न उठाते हुये तत्काल प्रभाव से दखल की मांग की है। श्री दुबे ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग, मध्यप्रदेश शासन डेथ ऑडिट के मामले में बहुत विलम्ब से चेता था। इंदौर सहित अनेक जिलों में जून माह में डेथ ऑडिट कमेटी गठित की गयी। श्री दुबे ने कोरोना काल मे हुई मौतों के डेथ ऑडिट के लिए इंदौर के बाहर के चिकित्सक एवं अधिकारियों की नई कमेटी बनाकर कार्यवाही करने का अनुरोध किया। श्री दुबे ने कहा कि कोरोना प्रबंधन में पारदर्शिता का अभाव है।
श्री दुबे ने मुख्यमंत्री को सूचित करते हुए लिखा कि इंदौर के सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया के मीडिया में जारी बयान अनुसार कोविड हॉस्पिटल कोरोना डेथ के आंकड़े समय पर नही बताते हैं जो इंदौर प्रशासन को अक्षम साबित करता है।इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को इंदौर से तत्काल हटाकर डेथ ऑडिट कराया जाए।