मनी मकर संक्रांति उत्साह रहा फीका

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संवाददाता अमृतलाल मारू मोबाइल नंबर 96301 86106


दसई आधुनिकता का डोर पर्व पर हावी रहा। मकर संक्रांति पर दान, पूजन, हवन तो लोगों ने किए मगर डिजिटल सुविधाओं पर किया गया खर्च पर्व के आड़े आया। पतंगबाजी का उत्साह भी कम ही रहा तो गुल्ली डंडा चलन से बाहर ही हो गए। गुड़ तिल पपड़ी की परंपरा ने जरूर संक्रांति को संबल दिया । गौ माता को हरा चारा ,कुत्तों को जलेबी और दान मांगने वालों को अनाज,नगदी मिला।
रफी का पर्व -जैसे-जैसे जमाना खर्चीली दुनिया में आगे बढ़ रहा है नियमित खर्चों के साथ ही त्योहारों पर भी मार पड़ रही है। आधुनिकता के कारण त्यौहार भी फीके पड़ते जा रहे हैं । कमोबेश ऐसी स्थिति छोटे विशेषकर मझले गांव में खूब देखने को मिल रही है। मकर संक्रांति पर्व पर होने वाली गुल्ली डंडा बाजी तो बिल्कुल विलुप्त ही हो गई। पतंगबाजी भी अब धीरे-धीरे सिमटती जा रही है । बुधवार को सुबह से ही पतंग बाज छतों पर जरूर नजर आए मगर “काटा है” मैं जोश दिखाई नहीं दिया।दिनभर पेच लड़ाने वालों के साथ ही पतंग लूटने वाले भी सक्रिय रहे।
धार्मिक आयोजन -संक्रांति पर्व पर धार्मिक नजारों में कमी नहीं आई ।लोगों ने परंपरा अनुसार जीवो की सेवा और जरूरतमंदों को दान किया । सुबह से ही लोग गौशाला पहुंचे और गायों को रोटी, पूरी, जलेबी, गुड़ ,तिल पपड़ी आदि खिलाई ।सेवाभावियो ने गौमाता को हरा चारा भी खिलाया। गौशाला में खाद्य सामग्रियों का ढेर लग गया। मकर संक्रांति पर आयोजित होने वाले धर्मराज व्रत का लोगों ने उद्यापन किया ।कंबल ,छतरी ,आसन, कुबड़ी आदि चीज भेंट की । कथा के साथ ही आयोजनो का समापन हुआ।

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