अमृतलाल मारू की रिपोर्ट
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दसई खिलेडी खाटू श्याम परिवार द्वारा पहली बार खाटू श्याम संकीर्तन का आयोजन किया गया। शासकिय विद्यालय परिसर में शीतलहर के बावजुद महिला पुरूषो के साथ बालक बालीकाओ ने देर रात तक मोजुद रहकर किर्तन का माहोल गर्म बनाये रखा। कार्यक्रम में 5 कलाकारो ने 4 घंटे में 20 भजनो की प्रस्तुति व खाटू श्याम के जिवन वर्णन के बारे में श्याम प्रेमियो को अवगत कराकर रात्रि एक बजे तक बिठाये रखा। भजनो की प्रस्तुति पर रसिक श्रोता ठंड में नृत्य कर पसिना बहाते दिखे।
दोपहर पष्चात श्याम प्रेमियो ने विष्वमंगल हनुमान मंदिर से निषान यात्रा ढोल ढमाको के साथ नगर भ्रमण करते हुवे निकाली, जो कार्यक्रम स्थल विद्यालय परिसर पहुंची। यहां भगवान खाटू श्याम का विषेष रंग बिरंगी विद्युत साज सज्जा व पुष्पहार की लडीयो से आकर्षक श्रंगार किया गया, जो आकर्षण का केन्द्र रहा। श्याम बाबा के साथ मंच पर एक और गणेषजी व दुसरी और हनुमानजी की प्रतिमा विराजीत कि गई थी। कार्यक्रम की शुरूआत श्याम समिति द्वारा विधिवत अखंड ज्योत प्रज्ज्वलीत कर कि गई। प्रारंभ में दसाई की प्रिया वैष्णव ने गणेष वंदना ‘‘प्रित में पूजे नाम तुम्हारा – गणपती जगत खिवया‘‘ से की। आयोजन के मुख्य कलाकार अमर आकाष संयुक्त गायक रतलाम ने मंच संभालते हुवे प्रथम दोर में पांच प्रस्तुति ‘‘दीनो की लाज सांवरा बचाता ही रहेगा-आता रहा हे सांवरा आता ही रहेगा‘‘ ‘‘हारे का तु हे सहारा सांवरे- हमने भी तुझको पुकारा सांवरे‘‘ ‘‘आ जाओ बाबा श्याम तेरा दास पुकारे- सुन लो मेरी करूण पुकार‘‘ आदि प्रस्तुति सुनाई । रात्रि 11 बजे बाद रामगंज मंडी कोटा राजस्थान की संगीता पाटीदार ने मंच पर आते ही अपनी 7 प्रस्तुतियो में ‘‘ उठे तो बोले राम-बैठे तो बोले राम श्रीराम भगत हनुमान बोले राम राम‘‘ ‘‘काली कमली वाला मेंरा यार है‘‘ ‘‘ मेरी पलको का घर तैयार सांवरे- तैरा इंतजार करे सांवरे‘‘ सांवली सुरत पर घणो इतरावे आदि प्रस्तुति सुनाकर श्रोताओ की तालीयां बटोरी। कार्यक्रम में दसाई के गोलु राजा राठौड ने भी ‘‘तेरी जय हो बालाजी‘‘ की प्रस्तुति दी। मंच के सामने बैठक स्थल को विभाजीत कर महिला पुरूषो में रखा गया। दोनो और बैठक स्थल उपस्थिति से खचाखच भरा रहा। महिला व पुरूषो ने कतार में लगकर बाबा के सजाये गये दरबार में आहुती प्रदान कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। श्याम प्रेमी कार्यक्रम के दोरान पुष्प व ईत्र वर्षा करते रहे। मंच पर प्रस्तुति देने वाले कलाकारो का कार्यकर्ताओ ने दुपटटा पहनाकर व महिला कलाकारो का बालिकाओ ने पुष्पहार पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम में समुचे अंचल से श्याम परिवार के रसिक श्रोता भजन सुनने पहुंचे थे। सर्द रात्रि में कार्यकर्ताओ ने ठंड दुर करने के लिये भजन प्रेमियो को चाय का सहारा देकर ठंड व सुस्ती दुर करने का प्रयास किया।
रात्रि एक बजे अमर आकाष के दुसरे दोर में ‘‘मझधार में नैया है, नैया का तु ही खिवेया है‘ के साथ ‘‘जिमो म्हारा श्याम धणी जिमावे बेटी जाट री‘‘ अंतिम प्रस्तुति के बाद आरती उतारकर कार्यक्रम का समापन किया गया।