पिंक बॉल और डे-नाइट टेस्ट मैच के बाद क्रिकेट पहले जैसा रह जाएगा?

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टेस्ट मैचों को क्रिकेट का सबसे ‘एलीट’ रूप माना जाता है। लोग टेस्ट मैचों को पारंपरिक, ओल्ड-फ़ैशन्ड और असली क्रिकेट मानते हैं। टेस्ट मैच यानी खिलाड़ियों की सफ़ेद ड्रेस, लाल रंग की बॉल और पांच दिन चलने वाला गेम। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि असली क्रिकेट तो टेस्ट क्रिकेट ही है। बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों का असली दमखम भी टेस्ट मैच में उनके प्रदर्शन को देखने के बाद ही पता चलता है। हालांकि असली क्रिकेट माने जाने के बावजूद टेस्ट क्रिकेट के सामने कई चुनौतियां सामने आने लगीं। इसकी बड़ी वजह थी वन डे और टी-20 मैचों की बढ़ती लोकप्रियता। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में 1970 से वनडे मैच शुरू हए और 2000 के बाद टी-20 मैच। टी-20 मैच तो आने के बाद तुरंत ही लोकप्रिय हो गया था। इन सबके बाद हाल ही में T10 और 100-बॉल क्रिकेट ने टेस्ट क्रिकेट के सामने और चुनौतियां खड़ी कर दीं। भारत जैसे देशों में टेस्ट मैचों के दर्शक भी कम होने लगे। वक़्त के साथ-साथ क्रिकेट भी बदल गया है। 2015 से डे-नाइट मैच खेले जाने लगे। पहला डे-नाइट मैच एडिलेड के ओवल में न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था। इसमें न्यूज़ीलैंड ने तीन विकेट से जीत हासिल की थी। तब से लेकर अब तक कुल 11 डे-नाइट मैच खेले जा चुके हैं। भारत अपना पहला डे-नाइट टेस्ट मैच शुक्रवार को कोलकाता के इडन-गार्डन स्टेडियम में खेलेगा। ये मैच बांग्लादेश के साथ चल रही टेस्ट सिरीज़ का हिस्सा है। ये मैच शुक्रवार को दोपहर एक बजे शुरू होगा। डे-नाइट टेस्ट मैचों की एक ख़ास बात ये भी होती है कि ये पिंक यानी गुलाबी बॉल से खेले जाते हैं।

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