नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को निजीकरण के सबसे बड़े कदम के तहत ब्लू चिप तेल कंपनी बीपीसीएल सहित 5 सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दी। आर्थिक मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी की बैठक में सरकार ने 5 सरकारी कंपनियों को पूरी तरह बेचने का फैसला किया है। मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष संसद में हंगामा कर सकता है। यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों का भविष्य क्या होगा?संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार के इस फैसले का विरोध होना तय माना जा रहा है। संसद में कांग्रेस और लेफ्ट समेत तमाम विपक्षी दल इस फैसले का जमकर विरोध करेंगे। माना जा रहा है कि आज ही संसद के दोनों सदनों में विपक्ष इस मामले को उठा सकता है।
जिन 5 कंपनियों को बेचे जाने का फैसला हुआ है उनमें भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड का नाम सबसे महत्वपूर्ण है। यह देश की दूसरी सबसे बह़ी पेट्रोलियम कंपनी है। सरकार की महानवरत्न कंपनियों में से एक बीपीसीएल तेल के क्षेत्र में काम करने वाली एक महत्वपूर्ण सरकारी कंपनी है।मोदी सरकार ने इस कंपनी में अपनी बाकी बची 53.29 फ़ीसदी हिस्सेदारी को पूरी तरह बेचने का फैसला लिया है। इसके साथ ही कंपनी का प्रबंधन और मालिकाना हक भी सरकार के नियंत्रण से बाहर होकर इसे खरीदने वाली निजी कंपनी के हाथों में चला जाएगा।
मोदी सरकार का बड़ा फैसला, BPCL समेत 5 कंपनियों में बेचेगी हिस्सेदारी
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