*नेताजी सुभाष चन्द्र बोस समकालीन समय में विश्व के नैसर्गिक नेता थे- सोमित श्रीवास्तव उपायुक्त केन्द्रीय विद्यालय (संगठन) मध्यप्रदेश*
सुभाष मंच द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंयती समारोह में सबरी के बैर प्रतिभा सम्मान समारोह में बोले..
जब हमारा देश गुलाम हो और दुनिया हमें हिराकत की नजरों से देखती हो तो उस समय दूसरे देश में जाकर अपने देश की आजादी की लड़ाई हेतू तीन लाख पचास हजार सैनिकों की सैना संगठित कर लेना अपने आप में एक आश्चर्य ही है । कराची के विद्रोह में नैवी के 20-22 हजार सैनिकों से नेताजी ने विद्रोह करवाकर अग्रेंजों की हुकूमत को हिला दिया था यही से अग्रेंजों ने देश को मुक्त करने की योजना पर कार्य आरंभ कर दिया था ।आजाद हिंद फौज ने अग्रेंजों की सेना को जितना परेशान किया था वह अपने आप में ही कालजयी घटनाएं है इससे हमें सतत् प्रेरणा लेते रहना चाहिए।अध्यात्मिक क्षेत्र में तो बहुत से नेता हुये है लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में विश्व में नेताजी सुभाषचंद्र बोस पहले नेता थे जिन्होंने स्वदेश को आजाद कराने के लिये आत्मबलिदानी सैनिकों की एक बढ़ी फौज तैयार की थी इस इतिहास को वर्तमान पीढ़ी को पढ़ना तो चाहिए ही अपितु प्रौढ़ो को आत्मचिंतन भी करना चाहिए की क्या हम उनके बलिदान को वर्तमान में सहैज पा रहे है।
सही मायनों में तो स्वामी विवेकानंद ने ही स्वाधीनता के प्रति देश के युवाओं में ललक का बीजारोपण राष्ट्र के साँस्कृतिक गौरव के व्याख्यानों में कर दिया था उसके प्रस्फुटन का नेतृत्व नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने किया था।गांधी जी ने अगर अहिंसा से स्वाधीनता चाही थी तो नेताजी ने सशस्त्र क्रांति की आग को धधका कर देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करना चाहते थे भारत के इतिहास में नेताजी का स्थान हमेशा ही गौरवपूर्ण स्थान पर रहेगाँ।
कौशल ही कुशलक्षेम है विषय पर राधास्वामी संस्थान के उपप्रबंधक दलजीत सिंह गिल ने सरोकारी शिक्षा पर कहाँ की कौशल हासिल युवा ही कुशलता से जीवन यापन कर सकता है उसकी आजिविका के साधन में कौशलता ही उसे समाज में सम्मान दिलायेगी अतः वयक्ति को शिक्षा के साथ हुनरमंद भी होना चाहिए।
हरदा के पूर्व विधायक ड़ा. रामकिशोर दोगने ने शिक्षा की बारिकियों पर वंनाचल के छात्रों को सम्बोधित करते हुये उच्च शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा पर भी बल देने की आवश्यकता पर बोलै वहीं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गौरीशंकर मुकाती ने स्वागत भाषण एवं कार्यक्रम के ध्येय पर सुभाष मंच के पूर्व में सम्मपन्न कार्यक्रमों को रेखांकित करते हुए विगत 27 वर्षों के उल्लेख नीय कार्यक्रम बताये।सुदूर वंनाचल में शिक्षा के लिये चुनौतियों पर जुगलकिशोर सल्लाम ने संक्षिप्त में बोले वहीं नगर पालिका उपाध्यक्ष दीपक शर्मा ने सांस्कृतिक शिक्षा पर जोर दिया।
सबरी के बैर प्रतिभा ओ रमेश कुमार पाटरे, सरपसिंह, आलौक कुमार ,कु. अंजु कलम,तुलसीराम भल्लावी, सौरभ बरबरड़े और पुरूषोत्तम देवड़ा का शाल ,श्रीफल और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया।
कार्यक्रम का संचालन सुभाष मंच के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक गुर्जर ने किया वहीं आभार प्रदर्शन सुभाष मंच में शुरू से सक्रिय रहे देवीसिंह साँखला ने किया।