भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के बयान पर उषा ठाकुर बोली – मैं तो छोटी कार्यकर्ता हूं…
*कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि उषा इतनी बड़ी नेता नहीं कि उनके बयान पर कुछ कहूं।इससे पहले उषा ठाकुर का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को सेट कर मेरा टिकट बदलवाया*
इंदौर. महू से भाजपा प्रत्याशी उषा ठाकुर के बयान (राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को सेट कर मेरा टिकट बदलवाया।) पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है।
सोमवार को कैलाश विजयवर्गीय ने उषा के बयान पर कहा था कि मैं इस बारे में अभी कुछ नहीं बोलूंगा। वैसे भी वे (ठाकुर) इतनी बड़ी नेता नहीं हैं कि मैं उनके बयान पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करूं।
विजयवर्गीय के इस बयान के बाद मंगलवार को उषा ठाकुर ने कहा कि वे (कैलाश) सहीं है, वे बड़े भाई है। मैं तो पार्टी की छोटी सी कार्यकर्ता हूं और अपना काम कर रही हूं। उषा ने कहा कि पार्टी ने मुझे इंदौर-3 के बजाय महू से टिकट दिया तो मैं वहां काम पर लग गई।
*यह था मामला*
28 नवंबर को हुए मतदान के बाद महू से भाजपा उम्मीदवार उषा ठाकुर का एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में उन्होंने कहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सेट कर मेरा टिकट बदलवाया। उन्होंने विजयवर्गीय पर वंशवाद का आरोप लगाते हुए कहा था कि वंशवाद पहले कांग्रेस में था लेकिन अब वह भाजपा में भी आ गया है।
उषा का यह वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा में बवाल मच गया। मप्र सरकार की मंत्री कुसुम महदेले ने ट्वीट कर उषा का समर्थन किया। वहीं कैलाश ने कहा कि वे (ठाकुर) इतनी बड़ी नेता नहीं हैं कि मैं उनके बयान पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करूं। भाजपा में संगठन जो तय करता है, वही सर्वोपरि होता है।
इधर, कैलाश समर्थक नेताओं का कहना है कि जब उषा तीन नंबर से चुनाव लड़ी थीं तब विजयवर्गीय ने ही उनकी मदद की थी। वहीं प्रदेश संगठन इस मामले को ज्यादा तूल देने के मूड में नहीं है, लेकिन नतीजों के बाद विवाद बढ़ सकता है।
*आकाश के लिए उषा को भेजा महू*
उषा ठाकुर इंदौर-3 से भाजपा विधायक है। इस चुनाव में पार्टी ने यहां से उनका टिकट काटकर कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश को उम्मीदवार बनाया था। वहीं उषा को महू विधानसभा से टिकट दिया गया था। आकाश के टिकट के लिए कैलाश ने पूरा जोर लगाया था और भारी विरोध के बावजूद वे बेटे को टिकट दिलाने में सफल हुए थे। हालांकि विजयवर्गीय के इस कदम का पार्टी के कई नेेताओं ने विरोध किया था और उन पर वंशवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाए थे।