छोटी सी गाड़ी लुढ़कती जाए…लोकपर्व संजा की स्वर लहरिया गूंजेगी मालवा निमाड़ में।

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प्रिन्स बैरागी
देवास-मालवा निमाड़ की मिठी बोली ,हॅसी- ठीठोली सारे भारत मे प्रसिध्द है ।

गणगौर गौरी के भजन होया होली , संझा के गीत हर कोई बरबस ही आकर्षीत हो जाता है ।

” संझा तू थारे घर जा नही तोथारी मां मारेगी- कूटेगी

“”का से लऊ भई हरो – हरोगोबर ..
“” छोटी सी गाॅड़ी रूड़कतिजाए , उमे बैठी संझाबाई ”
जैसै अनेक गीत साॅझ ढलतेही अॅचल के गली मोहल्लो मे सुनाई दे रहेहै ।
श्राद्ध पक्ष के प्रारंभ साथ ही साॅझी पर्व की शुरूवाद होतीहै ।
हिन्दू धर्म मान्यतानुसारअश्विन ( क्वार ) मास की कृष्ण प्रतिपदा से सर्वपितृअमावस्या तक मनाया जाताहै । कुछ लोग ईसे पुर्वजो कीस्मृतियो से जोड़ते है ।कुंवारी युवतिया , गोबर ,फूल , पत्ते तथा रंग बि रंगीन पन्नीयो से दिवारो पर रोज।
रूपाकार , आकृति बनाती है,सजाती है ।
साॅझ ढलने पर सारी सखी- सहेलिया मिलकर गीत गाते हुए आरती उतारी जाती है । तथा प्रसाद ताड़कर बांटा। जाता है ।

आज भी गाॅवो मे यह त्यौहार धूम धाम से मनाया जाता है पर शहरो मे बहुत कम देखनेमे आता है ।

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