क्रान्ति के संदेशवाहक का महाप्रयाण, मुनि श्री तरुण सागर जी का देवलोकगमन
_*( डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ -खबर हलचल न्यूज)*_
दिल्ली | क्रांतिकारी राष्ट्रसंत परम पूज्य मुनि श्री 108 तरुण सागर जी महाराज का शनिवार सुबह 3.18 बजे समाधि मरण हो गया है ।
जैन समाज ने कम उम्र में एक ओजस्वी वक्ता और सामाजिक एकता के प्रतीक को खो दिया।
अंतिम संस्कार दोपहर 3 बजे तरुणसागरम तीर्थ दिल्ली मेरठ हाइवे पर होगा। यात्रा सुबह 7 बजे राधेपुरी दिल्ली से प्रारंभ होकर 28 किमी दूर तरुणसागरम पर पहुँचेगी।
26 जून 1967 को जिला दमोह (म.प्र.) के ग्राम गुहजी में पिता प्रताप चंद्र जैन व माता श्रीमति शांतिबाईजैन के घर पवनकुमार का जन्म हुआ | मुनि श्री का सांसारिक नाम पवनकुमार था | आपने 8 मार्च 1981 में घर छोड़ दिया था, तथा शिक्षा-दिक्षा छत्तीसगढ़ में हुई है| क्रान्तिकारी प्रवचन की वजह से इन्हें ‘क्रांतिकारी संत’ का तमगा मिला हुआ था।साथ ही संत श्री को 6 फरवरी 2002 को म.प्र. शासन द्वारा’ राजकीय अतिथि ‘ का दर्जा मिला। 2 मार्च 2003 को गुजरात सरकार ने उन्हें ‘राजकीय अतिथि’ के सम्मान से नवाजा।
‘तरुण सागर’ ने ‘कड़वे प्रवचन’ के नाम से एक बुक सीरीज स्टार्ट की है, जिसके लिए वो काफी चर्चित रहते हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान मुनि श्री की अनंत यात्रा के यात्री होने पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन करती है|