सावधान इंदौर !
शहर में रद्दी कागज के माध्यम से रोज परोसा जा रहा है
धीमा जहर
नगर निगम अब अखबारी रद्दी में परोसे स्वल्पाहार के खिलाफ शुरू करेगा अभियान
(डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’)
इंदौर। 22 लाख से अधिक आबादी वाले इंदौर शहर के बाशिंदों को यूँ तो मिज़ाजी चटोरा कहा जाता हैं। यही वजह हैं कि यहाँ गलियो-नुक्कड़ों पर मंदिरों से अधिक स्वल्पाहार के ठेले-गुमटियां सड़क किनारे सजे दिखाई देते हैं। इंदौर के कॉलेजों, स्कूलों,चौराहों,बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन,गलियों,नुक्कड़ों,56 दुकांन,मंदिरों से लेकर सड़क के मुख्य मार्गो के आसपास नास्ते की ठेले,गुमटियां,सड़क किनारे लगे नाश्ते के ठेले पर बच्चे-बुजुर्ग से लेकर स्कूल-कॉलेज के छात्र – छात्राएं,नोकरी पेशा लोगो को छपे हुए रद्दी अखबार कागज के टुकड़ों में पोहे-जलेबी-आलूबड़ा,समोसा आदि स्वल्पाहार परोसा जाता हैं। छपे हुए अख़बार की खतरनाक स्याही लगे अख़बार जिससे गर्म तेलीय नाश्ता छपी हुई स्याही के रद्दी कागज के संपर्क में आकर अनजाने में केमिकल जहर बन जाता है जो स्वल्पाहार के साथ सीधे लोगो के पेट मे चला जाता हैं। रद्दी में परोसी गयी तेलीय या गीली खादय सामग्री में स्याही में मौजूद रसायन चिपक जाते हैं जिससे उक्त केमिकल जाने अनजाने में हमारे पेट मे चले जाते हैं जिससे कैंसर,पेट की बीमारी एवं ऑर्गन खराब होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
अनुमानतः 20 टन अखबारी रद्दी का उपयोग प्रतिदीन इंदौरवासी चटकारे लेने के लिये डिस्पोजल प्लेट की तरह करते हैं। जिससे शहर इंदौर के लाखों खाने के शौकीन लोगों प्रिंटेड रद्दी को डिस्पोजल के रूप में उपयोग करने वाले दुकानदारों की हरकतों से जाने अनजाने धीमा जहर खा रहे हैं जो जनस्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। लेकिन अखबार की रद्दी पर तेलिया सामग्री रख कर खाने से पेट के विकार सबंधी होने वाले रोगों की बढ़ रही शिकायतों के मद्देनजर निगर निगम कमर कसने जा रहा हैं।
इसी मुद्दे को लेकर शहर के सुखलिया निवासी आर.टी.एक्टिविस्ट, जितेंद्र सिंह यादव ने अपने अधीवक्तागण कृष्ण कुमार कुन्हारे एवं काशु महंत के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित स्वास्थ मंत्रालय ,इंदौर कलेक्टर सहित नगर निगम आयुक्त को ‘डिमांड ऑफ जस्टिस’ का प्रेजेंटेशन भेजकर केंद्र सरकार के निर्देश पर FSSI (भारतीय खादय सुरक्षा एवं मानक अधिकरण) द्वारा देश के सभी राज्यो को प्रिंटेड रद्दी के खाद्य सामग्री में उपयोग पर प्रतिबंध हेतु जारी एडवाइजरी का हवाला देते हुए उक्त एडवाइजरी का सख्ती से पालन करवाये जानेे व प्रिंटेड रद्दी पेपर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और लोगो में जनजागरूकता लाने और प्रिंटेड रद्दी पेपर का उपयोग करने वाले दुकानदारो के विरुद्ध चलानी एवं कानूनी कारवाही किये जाने को लेकर उक्त प्रेजेंटेशन शासन को भेजा गया हैं।
छपे हुई कागज में नाश्ता नहीं है सुरक्षित
शहर इंदौर में पोहा जलेबी चटनी में कचोरी समोसा खमण और भेल आदि का ज्यादा चलन हैं,ज्यादा लोग इन्ही का सेवन करते है,ज्यादातर दुकानों पर इन खादय प्रदार्थो को छपे रद्दी कागज में दी जाती है,कई लोग कागज में लपेटकर तेलीय नास्ता अथवा रोटी,सब्जी,कार्यस्थलों पर ले जाते हैं,जब वे खाना खाते हैं तब स्याही में मौजूद रसायन कागज से सोख लेता है और खाने साथ ये केमिकल पेट मे चला जाता है जो धीमे जहर का काम करता है जिसके सेवन से पाचन तंत्र बिगड़ जाता है और पेट संबंधी बीमारियां पनपती है और फेफड़ों और मुत्रशाय का कैंसर भी हो सकता है,महिलाओ की प्रजनन क्षमता भी असंतुलित होजाती है।
डॉक्टरों के अनुसार छपाई में इस्तेमाल होने वाली इंक में मौजूद रसायनों से कैंसर सहित कई घातक बीमारियों का खतरा होता है औए पाचन तंत्र भी खराब होता है।
जनता भी कर रही जागरूक
बतौर जितेंद्र सिंह यादव ऐसे ही मामलों में से कुछ मामले राम नगर बड़ी भमोरी निवासी ईश्वर कुमार प्रजापति का सामने आया है जो रोज मॉर्निंग वॉक के लिए मेघदूत गार्डन जाते है और लौटते वक्त स्वल्पाहार की गुमटी पर नाश्ता करते है जहाँ उन्हें प्रिंटेड रद्दी कागज में स्वल्पाहार दिया जाता था। जिसके बाद उन्हें एलर्जी और स्वास्थ संबंधी अन्य तकलीफ होने पर डॉक्टर द्वारा उन्हें प्रिटेंड इंक वाले कागज में नाश्ता नहीं करने की सलाह देने के बाद अब बतौर ईश्वर कुमार प्रजापति द्वारा भी ऐसे दुकानदारों को जागरूक किया जा रहा है। एक अन्य मामला कालानी नगर निवासी अरुण कुमार वर्मा एवं गांधी नगर निवासी नितेश चौधरी के स्वास्थ का मामला भी सामने आया है जो भी अब दुकानदारों को जागरूक करने की मुहिम में जुड़ गए हैं।
निगम पहले करेगा जागरूक फिर कार्यवाही
अख़बार की रद्दी से स्वास्थ्यगत समस्याएँ होती है,इस संबंध में पहले माह में हम लोगो को जागरूक करेंगे और छपे हुए अख़बार में नाश्ता नहीं दिया जाए इस हेतु अभियान चलाएंगे । जिसके बाद अभियान चलाकर अखबार की रद्दी का उपयोग करने वालो के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।
– आशीष सिंह ( नगर निगमायुक्त , इंदौर )
याचिका का डर से निगम हुआ मुश्तैद
अवैध रूप से मांस विक्रय, पालतू पशुओं के विक्रय के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता के के कुन्हारे ने बताया कि जनवरी – 2018 में अखबारी रद्दी पर डिस्पोजल प्लेट की तरह की खाद सामग्री परोसे जाने को डब्ल्यू.एच.ओ. ने स्वास्थ्य के लिये बेहद खतरनाक माना हैं। एक वैज्ञानिक शोध में साबित हुआ है कि अखबार की प्रिंटिंग में उपयोग होने वाली स्याही में खतरनाक केमिकल का उपयोग होता हैं। यही केमिकल गर्म तेलिये खाद्य सामग्री के संपर्क में आने से मानव स्वास्थ्य के लिये घातक बन जाते हैं। इस धीमे जहर का हम जाने अनजाने सेवन कर गम्भीर बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं। उक्त मामले में लगातार शिकायते कर रहे है। जनता को गंभीर बीमारी से बचने के उद्देश्य से याचिकाकर्ता जितेंद्र सिंह यादव के साथ मै और मेरे अधिवक्ता काशू महंत आदि न्याय की मांग कर रहे है। – कृष्ण कुमार कुन्हारे ( अधिवक्ता )
नगर निगम को लेना होगा एक्शन
पॉलिथिन को बंद करवाने की कार्यवाही नगरनिगम ने ३ वर्ष पूर्व से शुरू की थी, जिसके सुखद परिणाम आना अब जा कर शुरू हुए है, वैसे ही रद्दी कागज में स्वल्पाहार देने का कार्य इंदौर में वर्षों से चल रहा है। यदि निगम इस दिशा में कार्य करना शुरू करेगा तो लगभग ३ से ४ वर्ष लगेंगे इस धीमे जहर से शहर को निजात दिलाने में, निगम को संज्ञान लेकर कार्यवाही और जागरूकता प्रारम्भ करनी चाहिए। -जितेंद्र जे. सिंह यादव ( याचिकाकर्ता)
कैंसर का खतरा भी हो सकता है..
अख़बार की छपाई कई तरह घातक केमिकल्स जैसे डाई आइसोब्यूटाइल फटालेट, डाइएन आईसोब्यूटाइलेट से तैयार स्याही से की जाती है। इसके अलावा स्याही में रंगों के लिए भी कई केमिकल मिलाए जाते हैं, जिसमें जैसे घातक रसायन होते हैं, जो शरीर में कैंसर जैसे घातक रोग तो पैदा करता ही है, इसके अलावा बच्चों में बौद्धिक विकास भी रोक देता है। प्रिंटिंग स्याही में हानिकारक रंग, पेट्रोलियम युक्त रंगद्रव्य, रासायनिक प्रदूषकों होते है जो प्रयुक्त समाचार पत्रों में रोगजनक सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति मानव स्वास्थ्य के लिए संभावित जोखिम भी बनाती है। इंक में मौजूद रसायनों से कैंसर सहित कई घातक बीमारियों का खतरा होता है औए पाचन तंत्र भी खराब होता है। -डॉ मानसी जैन (चिकित्सक)