इन्दौर। कबीर जनविकास समूह की पहल पर गाँधी हॉल परिसर मे शहर के सामाजिक सस्थाओं के प्रमुख कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई जिसमे सबने अपने -अपने विचार एक- दुसरे साथ सांझा किये और समतामूलक समाज के निर्माण की पहल की गई। बैठक अगली कड़ी मे हमारे अंदर जो भी रचनात्मक प्रतिभा उसे निखारने के बारे मे भी विचार किया गया और उन्हे प्रस्तुत भी किया गया जिसमे, कहानी, कविता नाटक, डांस, वैचारिकी चर्चाएँ आदि, इसी कड़ी मे भाई संजय पंचाल ने कवि बच्चा लाल उन्मेष की कविता “कौन जात हो भाई?”
‘दलित हैं साब !’
नहीं मतलब किसमें आते हो?
आपकी गाली में आते हैं
गन्दी नाली में आते हैं
और अलग की हुई थाली में आते हैं साब !
मुझे लगा हिन्दू में आते हो !
आता हूं न साब ! पर आपके चुनाव में। सुनाई समान सोसाइटी के डायरेक्टेर राजेंद्र बंधु ने एक एनजीओ वाले और बकरी चराने वाले की कहानी सुनाई। रंगरूपिया थियेटर के निदेशक रवि जोशी दहेज प्रथा पर प्रहार करता हुआ एक नाटक की बानगी प्रस्तुत की कबीर जनविकास के विक्रम सिंह बोरदिया ने कबीर का प्रसिद्ध पद जरा हल्के गाड़ी हाँको मेरे राम गाड़ी वाले, सुनाया, छोटेलाल भारती ऐ मेरे नयन जल तु समा जा नयन में गुजारा न होगा धरा और गगन मे….. कविता सुनाई , हेल्फ अलायंस फॉर ऐनोवेशन एंड चेंज फाउंडेशन की पूजा कुशवाह ने चाहोगे तो भी तो मेरे वजूद को तुम मिटा नहीं पाओगे कोशिश बहुत करोगे लेकिन कभी मुझे झुका नहीं पाओगे अपनी कविता सुनाई , प्रीति सिंगार ने कबीर के पद सुनाये, डॉ. सुरेश पटेल अपने घर बनाने को कविता मे प्रस्तुत किया कि बनाया है घर मैंने मगर धीरे मध्य प्रदेश। नव निर्माण मंच के प्रमुख आनंद लाखन ने जाति वाद के कारण होने वाली पीड़ा बयां किया इसी पीड़ा को एडवोहकेट अर्चना गोसर ने भी व्यक्त किया इसी कड़ी में इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी की अंजलि आनंद थर्ड जेंडर के साथ विभिन्न प्रकार के होने वाले भेदभाव पर अपनी बात रखी। अवसर पर गीता भारती, युक्ता बर्वे, सुनीता बानवीर, विनोद जाटव, मुकेश करोल, प्रेम बानवीर डॉ. समर्थ परमार आदि गणमान्य साथी उपस्थित थे संचालन छोटेलाल भारती ने किया आभार सुरेश पटेल ने माना।