‘सार्थक एप’ निकली निरर्थक

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अपुष्ट और ग़लत जानकारियों से हो रहे मरीज़ परेशान

(डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’)

इंदौर। मध्यप्रदेश सरकार की मेपइट द्वारा संचालित सार्थक एप, जो इंदौर के अस्पतालों की जानकारी, उनमें बेड, आईसीयू उपलब्धता की जानकारी मुहैया करवाने के लिए जनता में प्रचारित की जा रही है, वहीं एप पर सही और ताज़ा जानकारियाँ उपलब्ध नहीं होने से जनता और मरीज़ लगातार परेशानी का सामना कर रहे हैं।
एप पर बहुत से अस्पतालों के संपर्क भी ग़लत दिए हुए हैं और साथ ही, कई तो नोडल के ऐसे नाम दिए हैं, जो अस्पतालों से नौकरी ही छोड़कर जा चुके हैं।
ख़बर हलचल न्यूज़ के प्रतिनिधि को मरीज़ के परिजन ने बताया कि जब सार्थक लाइट एप के माध्यम से शैल्बी अस्पताल में कोरोना मरीज़ के लिए बेड खोजा तो सामान्य बेड में 8 और आईसीयू में 1 बेड खाली दिखा रहा था। उसके सामने दिए नोडल के नाम और नबंर पर सम्पर्क किया तो नम्बर बन्द आया। परिजन एप पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार जब मरीज़ को शैल्बी अस्पताल ले जाया गया तो पता चला 2 दिन से आईसीयू खाली है ही नहीं और सामान्य बेड की उपलब्धता पिछले 5 दिनों से नहीं है। यहाँ तक कि अस्पताल के पूछताछ काउंटर पर बताया गया कि आईसीयू की तो आने वाले 5 दिन की भी बुकिंग है। जब सार्थक एप पर उपलब्ध जानकारी के बारे में पता किया तो नोडल ऑफ़िसर का जो नाम आ रहा है, वो कई दिनों से नौकरी छोड़ चुकी है। उनका नम्बर भी बंद है। इसी तरह शासकीय अस्पताल एमटीएच, गीता भवन अस्पताल आदि का फ़ोन नंबर भी सेवा में उपलब्ध नहीं बता रहा है।
इस घटना के बाद जब ख़बर हलचल न्यूज़ के प्रतिनिधि ने पूरी एप खंगाली तो आधे से ज़्यादा अस्पतालों के नम्बर ग़लत पाए गए और बेड की उपलब्धता की अधिकतर जानकारी ग़लत मिली।


इस तरह जिस एप्प का प्रचार सूचना तंत्र के माध्यम से हो रहा है, गूगल पर प्राप्त जानकारी के अनुसार एक लाख से अधिक लोग डाउनलोड करके उपयोग कर रहे हैं, अब तक उसी एप्प के माध्यम से भ्रामक और अपुष्ट जानकारियाँ फैलाई जा रही हैं, इससे 25 लाख से अधिक आबादी वाले इंदौर शहर में जहाँ एक ओर कोरोना का कहर बरपा हुआ है, वहीं दूसरी ओर दवाओं और इंजेक्शन की मारा-मारी से भी जनता परेशान है, ऐसे हालात में शासकीय तंत्र द्वारा उपलब्ध सूचनाओं की एप भी ग़लत जानकारियाँ साझा कर मरीज़ों के परिजनों की परेशानी का कारण बन रही है।

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