देर रात तक झूमते रहे श्रोता

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दसई समीपस्थ गांव खिलेड़ी में कंपकपाती  रात  में  गिरते ओंस और  रसिक श्रोताओं के  सुंदरकांड सुनने के जोश में प्रतिस्पर्धा सी दिखी । जोशीली व कलात्मक गायन विधा ने श्रद्धालुओं को रात्रि 2 बजे तक बिठाए रखा। स्थानीय विश्वमंगल हनुमान मंदिर में युवा मित्र मंडल द्वारा  सुंदरकांड शुरू किए जाने के 1 वर्ष पूर्ण होने पर वर्षगांठ के रूप में संगीतमय सुंदरकांड कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें श्री पनघट बालाजी भक्त मंडल ,श्री होरी हनुमान कोटडी राजस्थान के कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी गई । प्रारंभ में मंडल के मनोज खींची ने “मेरे लाडले गणेश प्यारे प्यारे -भोले बाबा के आंखों के तारे”  गणेश वंदना से शुरुआत की, पश्चात आयोजन समिति ने मंचासीन कलाकारों का तिलक लगाकर स्वागत व साल श्रीफल भेंटकर अभिनंदन किया। रात्रि 8:00 बजे सर्द माहौल के शुरुआती दौर में “म्हारा सतगुरु आंगन आया मैं वारी जाऊं रे”  “एरी सखी मंगल गाओ री – कोई मुझे काला टीका लगाओ री,,  “चली आइयो ओ राधा रानी जमुना के तीर,,  “हर करम अपना करेंगे ए वतन तेरे लिए,, आदि शास्त्रीय, क्लासिकल व राष्ट्रीय संगीत के मुखड़ो के माध्यम से कलाकारों ने रसिक श्रोताओं को सुंदरकांड की चौपाइयों का रसपान कराया ।जैसे-जैसे रात्रि मैं ठंड का पारा लुढ़कता जा रहा था वैसे वैसे संगीत प्रेमियों का उत्साह गर्म होता जा रहा था। 5 घंटे तक चले संगीतमय सुंदरकांड में नन्हे बालको से लेकर बड़े बुजुर्ग संगीत निशा में श्रवण लाभ लेते रहे । मंडल के कलाकारों कि सुमधुर प्रस्तुतियों ने श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुंदरकांड पश्चात संगीत के रसिक श्रोताओं के आग्रह पर भजनों की प्रस्तुति दी गई। मनोज खींची के भजन “कर्मों की है ये माया कर्मों के खेल सारे – क्या-क्या अजब नजारे क्या, क्या अजब नजारे”  ने  रात्रि  2:00 बजे  कंपकपाती  ठंड में  प्रस्तुति  से  श्रोताओं को  नचाकर  माहौल में गर्माहट पैदा कर दी। तोरा मन दर्पण कहलाए भले बुरे सब रिश्तो का भेद समझ ना पाए। आदि प्रस्तुतियों को सुनाकर युवाओं के वर्षगांठ के कार्यक्रम को यादगार बना दिया। आयोजन समिति ने ठिठुरन भरी रात में भजन प्रेमियों में गर्माहट बनाए रखने के लिए प्रारंभ में निरंतर चाय व आरती पश्चात पोहा जलेबी का स्वल्पाहार कराया। मंच पर तबलावादन दुर्गेश, आर्गनवादन राकेश, संयुक्त ऑक्टोपैड वादन हर्ष बारोठ व सुधीर खींची चौहान,सह गायक कपिल शर्मा, मुकेश राठौर श्याम खींची ने मुख्य कलाकार मनोज खींची के साथ गायन संगत की। आरती पश्चात प्रसादी वितरित की गई कार्यक्रम में दसाई, पाना, लोहारी, फुलेडी, बिडवाल, चीराखान आदि स्थानों के संगीत प्रेमी शामिल हुए थे ।

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