इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन खूबसूरत माहौल रहा। अंतिम दिन के प्रथम सत्र में जाने-माने विचारक तारक फतेह और लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी अपने विचारों से छा गए। इसके बाद वाले सत्र में मैं और मेरे प्रिय पात्र पर चर्चा की गई।
इसके तुरंत बाद एक बेहद दिलचस्प और उद्देश्यपूर्ण सत्र लघुकथा पर संपन्न हुआ। ‘संक्षिप्त ही सुंदर है’ विषय से
आयोजित इस सत्र की मॉडरेटर लघु कथाकार ज्योति जैन थीं। इस सत्र के भागीदार थे सूर्यकांत नागर, सतीश
राठी, योगेन्द्रनाथ शुक्ल, सीमा व्यास, अंतरा करवड़े और चंद्रशेखर बिरथरे।
इस सत्र के आरंभ में अंतरा करवड़े ने 2 लघुकथाएं ‘बूंदें’ और ‘लहर’ का पाठ किया। सीमा व्यास ने ‘किसकी बारी’ और ‘लुगड़ो’ शीर्षक से रचना पाठ किया।
वरिष्ठ लघु कथाकार सूर्यकांत नागर ने ‘भविष्य की चिंता’ और ‘रावण दहन’ के नाम से लघुकथा का वाचन किया।
योगेंद्र नाथ शुक्ल ने जुनून और औपचारिकता शीर्षक से 2 रचनाओं का पाठ किया। सतीश राठी ने ‘खुली किताब’
और ‘रोटी की कीमत’ शीर्षक से रचना वाचन किया।
जीवन के विविध रंगों से सजी लघुकथाओं ने सभी को प्रभावित किया। मॉडरेटर ज्योति जैन ने लघुकथा ‘वर्तमान और शबरी के बेर’ का वाचन कर भरपूर तालियां बटोरीं।