संवाददाता अमृतलाल मारू दसई
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दसई .संसार को त्याग कर संयम के मार्ग पर जा रहे दीक्षार्थी दसई निवासी अजय नाहर का वरघोड़ा मंगलवार को धूमधाम से निकाला गया।वरघोड़े में संत प्रवर श्री ऋषभ विजय सुरिश्वर जी महाराज साहब के साथ ही मुनि मंडल की निश्रा पाकर गांव वासी पुलकित हो गए। संजय कॉलोनी से लेकर आयोजन स्थल तक रास्ते भर लोगों ने गहुली करवाई और मुनि श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया । स्वामी वात्सल्य में समाज जनों के साथ ही अन्य लोग भी शामिल हुए।
संयम का पथ -भौतिकवाद की चकाचौंध और आधुनिकता के इस दौर में युवा वर्ग का संयमित होना बड़ा ही दुष्कर होता जा रहा है । ऐसे में भोग विलास संस्कृति को त्याग कर संयम के पथ पर चलने का साहस करना निश्चित रूप से पूर्व जन्म के पुण्योदय के साथ ही इस जन्म के प्रारब्ध का ही फल है । दसई के युवा अजय नाहर का किशोर आरोहण के लिए आगे बढ़ना जैसा संग वैसा रंग का एक सबब ही है क्योंकि दीक्षार्थी का पिछल एक दशक साधु संतों की सेवा सुश्रुषा में ही बीता है । एक मध्यम परिवार से निकले अजय ने दीक्षा के मार्ग को चुनकर न केवल माता पिता कुल गोत्र अपितु संपूर्ण क्षेत्र को भी धन्य कर दिया है।
निकला वरघोड़ा – मंगलवार सुबह ग्राम कड़ोद से विहार कर निकले मुनि श्री का मंगल प्रवेश संजय कॉलोनी क्षेत्र से हुआ । बड़ी संख्या में समाज जनों के साथ ही अन्य वर्गों के लोग अगवानी में पहुंचे और मुनि श्री को नमन किया। वरघोड़ा आरंभ हुआ तो आगे बेंड बाजों की धुन पर युवक युवतियां गरबा करते चल रहे थे। हर देव लाला चौक, नया बाजार होते हुए जुलूस आयोजन स्थल तेजाजी चौक पर पहुंचा रास्ते भर मुमुक्षु अजय नाहर ने कपड़े चावल नगदी बिस्किट चॉकलेट छोटे-मोटे बर्तन आदि दोनों हाथों से लुटाए।स्वागत भाषण ,स्वागत गीत ,विदाई गीत की प्रस्तुति के बाद महाराज साहब ने उपस्थित जनसमुदाय को आशीर्वचन कहें । मुनिश्री ने कहा कि संसार का जीवन कांटो भरा है । जन्म है तो मृत्यु भी है, दुख है तो उसके पीछे ही सुख भी लगा हुआ है। मिलन के साथ वियोग जुड़ा हुआ है । अतः अपने विवेक का उपयोग करो और प्रभु प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ो। अनेक प्रसंगों से मुनि श्री ने वैराग्य की दृढ़ता और विवेक का उपयोग बताया । जब मुमुक्षु अजय के संयम पथ को लेकर संदेश दिया तो सारा पंडाल भावुक हो उठा। शाम को मुनि श्री एवं मुनि मंडल ने राजगढ़ के लिए विहार किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनके साथ थे। कार्यक्रम का संचालन राकेश नाहर ने किया।